इतिहास के पन्नों में 10 जनवरीः ‘वो’ ताशकंद समझौता और लाल बहादुर शास्त्री की मौत

देश-दुनिया के इतिहास में 10 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पीढ़ियां कभी नहीं भूल सकतीं। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को शास्त्री प्रधानमंत्री बने। शास्त्री ने ही ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। वो करीब 18 महीने तक प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में ही भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। इसके बाद वो पाकिस्तान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उज्बेकिस्तान के ताशकंद गए। 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के मात्र 12 घंटे बाद उनकी मौत हो गई। लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है।

कहा जाता है कि शास्त्री मृत्यु से आधे घंटे पहले तक बिल्कुल ठीक थे, लेकिन 15 से 20 मिनट में उनकी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें एंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के चंद मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। शास्त्री की मौत पर संदेह इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील का भी कहना था कि उनके पिता की देह पर नीले निशान थे। जब शास्त्री के पार्थिव शरीर को दिल्ली लाने के लिए ताशकंद एयरपोर्ट पर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में सोवियत संघ, भारत और पाकिस्तान के झंडे झुके हुए थे। शास्त्री के ताबूत को कंधा देने वालों में तत्कालीन सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिगिन और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान भी थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *