देश-दुनिया के इतिहास में 31 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। अमेरिका हैम नाम के एक चिम्पैंजी को 31 जनवरी, 1961 को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजकर इतिहास रच चुका है। दरअसल चिम्पैंजी को इंसान के बाद सबसे बुद्धिमान माना जाता है। हैम को अंतरिक्ष में भेजने की वजह यह जानकारी हासिल करनी थी कि अंतरिक्ष में इंसान के जाने पर उस पर किस तरह के प्रभाव होंगे।
माना जाता है कि हैम का जन्म 1957 में हुआ था। उसे कैमरून के जंगलों से पकड़ा गया। इसके बाद उसे अमेरिकी शहर फ्लोरिडा ले जाया गया। फ्लोरिडा में हैम को मियामी रेयर बर्ड फर्म में रखा गया। 1959 में अंतरिक्ष में जाने की ट्रेनिंग के लिए अमेरिकी एयरफोर्स बेस भेजा गया।
उड़ान के 16:30 मिनट बाद हैम अंतरिक्ष में पहुंचा था। उड़ान के दौरान दबाव के कारण हैम के कैप्सूल को नुकसान पहुंचा था, लेकिन हैम के स्पेस सूट ने उसे बचा लिया और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा। धरती पर लौटते वक्त हैम का कैप्सूल 130 किलोमीटर की दूरी पर अटलांटिक महासागर में जा गिरा। उसे बचाने के लिए कुछ ही घंटे में एक जहाज मौके पर पहुंचा। हैरानी की बात यह है कि इतने देर बाद भी वह जीवित था। फिर उसे कैप्सूल से निकाला गया। उस वक्त उसके चेहरे पर मुस्कान थी। उसकी मुस्कान को फोटोग्राफर्स ने अपने कैमरों में कैद कर लिया।
अंतरिक्ष से वापसी के बाद हैम को 1963 में वॉशिंगटन के नेशनल जू में रखा गया। इसके बाद नॉर्थ कैरोलिना के चिड़ियाघर भेजा गया। 19 जनवरी, 1983 को हैम का निधन हो गया। उसे अंतरिक्ष में भेजना एक ऐसा कामयाब प्रयोग रहा, जिसने अंतरिक्ष में इंसान के जाने के रास्ते खोले।