इतिहास के पन्नों में 02 जुलाईः नेताजी सुभाष चंद्र बोस को विद्रोह भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया

देश-दुनिया के इतिहास में 02 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व देश के महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भी है। अंग्रेजों से लड़कर देश को आजाद कराने के समर्थक सुभाष चंद्र बोस को 02 जुलाई, 1940 को ही गिरफ्तार किया गया था। उन पर ब्रितानी हुकूमत ने विद्रोह भड़काने का आरोप लगाया। नेताजी को उनके जीवनकाल में करीब 11 बार गिरफ्तार कर जेल में रखा गया। ऐसी ही एक जेल यात्रा के दौरान उन्हें 16 जुलाई 1921 में छह महीने का कारावास हुआ।

इस कारावास के दौरान कुछ दिन बाद नेता जी की तबीयत खराब होने लगी और उन्हें तपेदिक हो गया। लेकिन अंग्रेजी सरकार ने उन्हें रिहा नहीं किया। हुकूमत ने यह शर्त रखी कि उन्हें रिहा तभी किया जाएगा जब वह इलाज के लिए यूरोप चले जाएंगे मगर उन्होंने इस शर्त ठुकरा दिया। मजबूरी में अंग्रेजों ने उनका इलाज डलहौजी में करवाया। 1930 में सुभाष चंद्र बोस जेल में थे। चुनाव में उन्हें कोलकाता का महापौर चुन लिया गया था। इस कारण उन्हें रिहा कर दिया गया। मगर 1932 में सुभाष चंद्र बोस को फिर पकड़ लिया गया और उन्हे अल्मोड़ा जेल में रखा गया। अल्मोड़ा जेल में उनकी तबीयत फिर खराब हुई। चिकित्सकों की सलाह से वे यूरोप चले गए। नेता जी 1933 से 1936 तक यूरोप में ही रहे। इस दौरान वो इटली के नेता मुसोलिनी से मिले। मुसोलिनी ने उनसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता करने का वादा किया। बाद में वो बिट्ठल भाई पटेल से भी मिले।

इसके बाद विट्ठल भाई पटेल ने अपनी सारी संपत्ति नेता जी के नाम कर दी। सरदार भाई पटेल जो विट्ठल भाई पटेल के छोटे भाई थे, उन्होंने इस वसीयत को मानने से इनकार कर दिया। मुकदमा चला। सरदार भाई पटेल यह मुकदमा जीत गए और सारी संपत्ति गांधी जी के हरिजन समाज को सौंप दी। 1934 में नेताजी के पिता की मृत्यु हो गई। यह खबर सुनते ही वो हवाई जहाज से कराची होते हुए कोलकाता लौटे। कोलकाता पहुंचते ही अंग्रेज सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया। कई दिनों तक जेल में रखा और उन्हें वापस यूरोप भेज दिया।

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