इतिहास के पन्नों में 28 जुलाईः उंगलियों के निशान को नया अर्थ मिला

हर इंसान का चेहरा अलग होता है लेकिन कई बार हमशक्ल जैसी स्थिति भी पैदा होती है। उंगलियों की लकीरों पर जब जेम्स हर्शल का ध्यान गया तो उन्होंने पाया कि दुनिया के हर व्यक्ति के उंगलियों की लकीरें निश्चित तौर पर दूसरे से जुदा होती है।

किसी भी तरह से इसकी नकल संभव नहीं है। इसलिए हर किसी की उंगली की लकीरें उसकी अपनी पहचान है। इसकी शिनाख्त सबसे पहले ब्रिटिश विलियम जेम्स हर्शल ने की थी।

उंगलियों के निशान को नया अर्थ देने वाले ब्रिटिश विलियम जेम्स हर्शल का 09 जुलाई 1833 को जन्म हुआ।

वैज्ञानिक परिवार से संबंध रखने वाले जेम्स ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी थे और 1858 के दौरान बंगाल में भी नियुक्त रहे थे। यहीं काम करते हुए जेम्स को अहसास हुआ कि सभी के उंगलियों के निशान एक जैसे नहीं होते हैं और पहचान के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

आईसीएस अधिकारी के रूप में हस्ताक्षर की बजाय आधिकारिक दस्तावेजों पर जेम्स ने उंगलियों के निशान का इस्तेमाल किया। आगे चलकर कैदियों व अपराधियों के उंगलियों का निशान लिए जाने का कानून बन गया।

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