इतिहास के पन्नों में 17 जूनः अमेरिका को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का फ्रांसीसी तोहफा

दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी। अमेरिका को यह फ्रांस से तोहफे में मिला था। इसे 17 जून, 1776 को अमेरिका को सौंपा गया था। फ्रांसीसी लोगों ने मूर्ति को आकार और स्वरूप दिया। तांबे की यह शानदार प्रतिमा अमेरिका के न्यूयार्क शहर के मैनहट्टन में लिबर्टी द्वीप पर स्थित है।

अमेरिका के लिबर्टी आइलैंड पर स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी एक महिला की मूर्ति है, जो स्वतंत्रता की रोमन देवी लिबर्टस का प्रतिनिधित्व करती है। स्टेच्यू के दाएं हाथ में मशाल है और बाएं हाथ में एक तख्ती है जिस पर अमेरिका की आजादी की तारीख है। मूर्ति के मुकुट से सूरज की 7 किरणें निकल रही हैं, जो दुनिया के 7 महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

दरअसल, अमेरिका की आजादी की 100वीं सालगिरह पर फ्रांस ने अमेरिका को तोहफे के तौर पर मूर्ति देने की योजना बनाई। प्रसिद्ध फ्रांसीसी मूर्तिकार फ्रेडेरिक ऑगस्टे बार्थेली के साथ मिलकर इसकी योजना बनी थी। लोहे और तांबे की बड़ी-बड़ी प्लेट्स को जोड़ कर 200 टन से भी ज्यादा वजनी मूर्ति बनाई गई। जुलाई 1884 में मूर्ति को बनाने का काम पूरा हो गया।

इस विशालकाय मूर्ति को फ्रांस से न्यूयॉर्क ले जाने के लिए इसके 350 छोटे-छोटे हिस्से किए गए और विशेष जहाज ‘आइसेर’ के जरिए न्यूयॉर्क लाया गया। 17 जून 1885 को यह जहाज न्यूयॉर्क पहुंचा था। 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का अनावरण किया।

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