इतिहास के पन्नों में 20 जूनः छत्रपति शिवाजी टर्मिनस हो गया 135 साल का

अतीत के वर्षों के 365 दिन किसी न किसी अच्छी या बुरी घटना के साथ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। और 20 जून भी इसका अपवाद नहीं है। मसलन-1877 में 20 जून को ही मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ( तब इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस था) को आम लोगों के लिया खोला गया था। इस दिन की बुरी घटनाओं की बात करें तो 1990 में 20 जून को ईरान में भूकंप से 40 हजार लोग मारे गए थे। यह भी दुखद संयोग ही है कि 1994 में 20 जून को ही ईरान में एक मस्जिद में बम विस्फोट में 70 लोगों की मौत हो गई।

मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारत का बेहद खूबसूरत और व्यस्ततम रेलवे स्टेशन है। 20 जून को यह 135 साल का हो गया। कहा जाता है कि भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा फोटो इसी इमारत की खींची जाती हैं। मुंबई के फोर्ट एरिया में स्थित इस रेलवे स्टेशन से रोजाना करीब 30 लाख से भी ज्यादा लोग यात्रा करते हैं। टर्मिनस के 18 प्लेटफॉर्म पर रोजाना 1200 से भी ज्यादा ट्रेनें आती-जाती हैं।

समुद्र किनारे बसा होने की वजह से मुंबई ब्रिटिशर्स के लिए प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। प्रतिदिन हजारों लोगों का आना-जाना और माल का आयात-निर्यात होता था। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से पहले यहां बोरी बंदर रेलवे स्टेशन था। इसी बोरी बंदर रेलवे स्टेशन से ठाणे के लिए भारत की पहली ट्रेन चली थी। जब बोरी बंदर रेलवे स्टेशन पर जगह कम पड़ने लगी तो ब्रिटिशर्स ने एक बड़ा स्टेशन बनाने का फैसला लिया। ब्रिटिश सरकार ने स्टेशन के निर्माण के लिए 16 लाख रुपये की राशि जारी की और स्टेशन की डिजाइनिंग की जिम्मेदारी फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस को सौंपी। 1878 में काम शुरू हुआ। स्टीवंस ने लक्ष्य रखा कि 1887 तक स्टेशन का काम पूरा हो जाए, क्योंकि इसी साल ब्रिटेन की क्वीन विक्टोरिया को रानी बने हुए 50 साल पूरे हो रहे थे।

इस भव्य इमारत में भारत, ब्रिटेन और इटली तीनों देशों की स्थापत्य कला नजर आती है। मुख्य बिल्डिंग को बनाने में बलुआ और चूना पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। खूबसूरती के लिए इटैलियन मार्बल और भारतीय ब्लू स्टोन लगाया गया है। स्टेशन के सेंट्रल हॉल में सितारे के आकार की डिजाइन है। इसीलिए इस हॉल को स्टार चैंबर कहा जाता है। फिलहाल यहीं पर मुख्य टिकट घर है। विक्टोरियन गोथिक स्टाइल में बनी इस बिल्डिंग के बीचोंबीच महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा भी लगाई गई थी। आजादी के बाद इस प्रतिमा को हटा दिया गया।

साल 1887 में आज ही के दिन स्टेशन का काम पूरा हुआ और इसे रेल यातायात के लिए शुरू किया गया। ब्रिटेन की महारानी के नाम पर स्टेशन का नाम विक्टोरिया टर्मिनस रखा गया। साल 1996 में तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश कलमाड़ी ने स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया। 02 जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

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