इतिहास के पन्नों में 20 जूनः 136 साल का हो गया मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस

देश-दुनिया के इतिहास में 20 जून की तारीख कई घटनाओं की गवाह है। 1887 में 20 जून को मुंबई स्थित विक्टोरिया टर्मिनस को लोगों के लिए खोला गया था। यह भारत का बेहद खूबसूरत और व्यस्ततम रेलवे स्टेशन है। यह 20 तारीख को 136 साल का हो जाएगा । कहा जाता है कि भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा फोटो इसी इमारत की खींची जाती हैं। मुंबई के फोर्ट एरिया में स्थित इस रेलवे स्टेशन से रोजाना करीब 30 लाख से भी ज्यादा लोग यात्रा करते हैं। टर्मिनस के 18 प्लेटफॉर्म पर रोजाना 1200 से भी ज्यादा ट्रेनें आती-जाती हैं।

समुद्र किनारे बसा होने की वजह से मुंबई ब्रिटिशर्स के लिए प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना और माल का आयात-निर्यात होता था। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से पहले यहां बोरी बंदर रेलवे स्टेशन था। इसी बोरी बंदर रेलवे स्टेशन से ठाणे के लिए भारत की पहली ट्रेन चली थी।

लेकिन जब बोरी बंदर रेलवे स्टेशन पर जगह कम पड़ने लगी तो ब्रिटिशर्स ने एक बड़ा स्टेशन बनाने का फैसला लिया। ब्रिटिश सरकार ने स्टेशन के निर्माण के लिए 16 लाख रुपये की राशि जारी की और स्टेशन की डिजाइनिंग की जिम्मेदारी फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस को सौंप। साल 1878 में स्टेशन बनाने का काम शुरू हुआ। स्टीवंस ने लक्ष्य रखा कि 1887 तक स्टेशन का काम पूरा हो जाए क्योंकि इसी साल ब्रिटेन की क्वीन विक्टोरिया को रानी बने हुए 50 साल पूरे हो रहे थे।

इस बिल्डिंग में भारत, ब्रिटेन और इटली तीनों देशों की स्थापत्य कला नजर आती है। मेन बिल्डिंग को बनाने में बलुआ और चूना पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। खूबसूरती के लिए इटैलियन मार्बल और भारतीय ब्लू स्टोन लगाए गए हैं। स्टेशन के सेंट्रल हॉल में एक सितारे के आकार की डिजाइन बनाई गई है, इसीलिए इस हॉल को स्टार चैंबर कहा जाता है। फिलहाल यहीं पर मुख्य टिकट घर है। विक्टोरियन गोथिक स्टाइल में बनी इस बिल्डिंग के बीचों-बीच महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा भी लगाई गई थी, लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो उस प्रतिमा को हटा दिया गया।

ब्रिटेन की महारानी के नाम पर स्टेशन का नाम विक्टोरिया टर्मिनस रखा गया लेकिन साल 1996 में तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश कलमाड़ी ने स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया। हालांकि लघु रूप में यह आज भी वीटी के नाम से मशहूर है। दो जुलाई, 2004 को इस स्टेशन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले में आतंकियों ने इस स्टेशन को भी निशाना बनाया था। यहां फायरिंग में 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।

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