इतिहास में दर्ज कुछ ‘सुयोग’, घटनाएं और कहानियां देश-दुनिया में कालजयी हो जाती हैं। ऐसा ही एक ‘सुयोग’ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भगीरथ कोशिशों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 11 दिसम्बर, 2014 को ’21 जून’ को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। अगले साल 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारत ने दो शानदार रिकॉर्ड बनाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के राजपथ पर 35 हजार से ज्यादा लोगों के साथ योग किया। पहला रिकॉर्ड 35,985 लोगों के साथ योग करना और दूसरा रिकॉर्ड 84 देशों के लोगों का इस समारोह में हिस्सा लेना रहा।
पूरी दुनिया मंगलवार (21 जून, 2022) को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाएगी। पांच हजार वर्ष से योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। योग न केवल शरीर को रोगों से दूर रखता है बल्कि मन को भी शांत रखता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से हुई। 27 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकसाथ योग करने का आह्वान किया। इसके बाद महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। तभी से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अस्तित्व में आया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे खास वजह है। दरअसल 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है। इसे कुछ लोग ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। भारतीय परंपरा में ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। मान्यता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में लाभकारी होता है। इसी वजह से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाता है।