कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट के जज अभिजीत गांगुली ने बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दिया है। वह इसी साल 10 अगस्त को रिटायर होने वाले थे। लेकिन, उससे पहले वह अगले मंगलवार (पांच मार्च) को हाईकोर्ट जज के पद से रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस अभिजीत गांगुली ने रविवार (तीन मार्च) को अपने इस्तीफे की घोषणा की। लेकिन एक जज के इस्तीफे से सियासी अखाड़े में हंगामा क्यों ? इसकी मुख्य वजह उनके इस्तीफे की टाइमिंग है। वह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा दे रहे हैं।
दूसरे, पिछले कुछ सालों में उन्हें बार-बार ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ मोर्चा संभालते देखा गया है। इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह इस्तीफा देंगे और राजनीति में शामिल होंगे।
पूर्व जस्टिस अशोक गांगुली ने कहा कि भारत के संविधान ने जजों को इस्तीफा देने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा, ”संविधान का अनुच्छेद 217-1 न्यायाधीशों के इस्तीफे का अधिकार प्रदान करता है। इसके लिए सेवारत न्यायाधीशों को अपने हाथ से देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आवेदन करना होगा।”
जस्टिस अभिजीत गांगुली ने कहा कि वह मंगलवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस्तीफा देंगे। इसके अलावा वह कलकत्ता हाई कोर्ट के जज और देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी देंगे।
हालांकि जज के पद से इस्तीफा देने के बाद जस्टिस गांगुली किस दल में जाएंगे इसका कोई संकेत उन्होंने नहीं दिया।