नयी दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने न्यायिक व्यवस्था में तकनीक के उपयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे कार्यप्रणाली अधिक सरल हो जाएगी।
दिल्ली में रविवार को सीएलईए-कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएजीएससी-24) के समापन समारोह में शाह ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के प्रत्येक भाग में तकनीक को शामिल किया जाना बेहद जरूरी है। तीन नए आपराधिक कानूनों के संदर्भ में शाह ने कहा कि इनके क्रियान्वयन के बाद भारत में दुनिया की सर्वाधिक आधुनिक कानून व्यवस्था होगी।
गृहमंत्री ने कहा कि न्याय को सुलभ, किफायती और जवाबदेह बनाने में तकनीक की बड़ी भूमिका हो सकती है। नए कानूनों में हमने तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान के उपयोग को बढ़ावा दिया है। सात साल से ऊपर के अपराधों में फोरेंसिक सबूतों को आवश्यक बना दिया है। कांफ्रेंस के आयोजन को मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ते हुए शाह ने कहा कि वर्तमान में अपराध और आर्थिक अपराध किसी दायरे तक सीमित नहीं रहे हैं। केवल आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि अन्य अपराधों को लेकर भी जरूरी व्यवस्था की जानी चाहिए।