कोलकाता : ‘पद्म श्री’ डॉक्टर अरुणोदय मंडल ने एक नेशनल चैनल के पत्रकार को बेशर्म तरीके से गाली-गलौज करने की घटना की कड़ी निंदा की है।
शनिवार को अरुणोदय ने कहा कि कबीर सुमन का बयान बहुत ही अशिष्ट, निंदनीय और निंदा के योग्य भी नहीं है। ऐसे घमंडी और असभ्य व्यक्ति के किसी भी बयान का जवाब देने के लिए मैं सिर्फ छी: कहूंगा। क्या यही है बंगाल की संस्कृति?
80 वर्षीया गायिका संध्या मुखर्जी को केंद्र सरकार द्वारा पद्मश्री देकर कथित तौर पर अपमानित करने संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत हद तक संध्या खुद भी जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि वह सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया के धरना मंच पर बैठती हैं। उनके साथ जुलूस में चलती हैं। मान लीजिए कि उन्हें पद्मश्री नहीं लेना था तो मना कर देतीं। अच्छी बात है। उनके परिवार ने इस बात पर राजनीति क्यों की? इसको सार्वजनिक करने की क्या जरूरत थी? जाहिर सी बात है इसका दूसरा पहलू केंद्र सरकार पर सवाल खड़ा करना था। तो इससे संध्या मुखर्जी की भी छवि भी धूमिल हुई है।
कई लोगों ने पद्म पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया है। उन्हें लगता है कि वे ”भारत रत्न” के अलावा किसी सम्मान के पात्र नहीं हैं। आदर- सम्मान, बड़ा हो या छोटा महत्वपूर्ण होता है। ”पद्म श्री”, ”पद्म भूषण”, ”पद्म विभूषण” में अंतर छोटा है। हममें से जो सामाजिक कार्य करते हैं – तो बदले में कुछ न कुछ पाने की आशा सभी को रहती है।
अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि मैं सुंदरवन के सुदूर इलाकों में 22 साल से बिना किसी सरकारी मदद के काम कर रहा हूं। तब मैं यह भी कह सकता हूं कि ‘पद्म श्री’ मेरे काम के अनुरूप नहीं है”? ये सभी सम्मान प्रत्येक कार्य के लिए सरकार की मान्यता के सूचक हैं। इसके लिए सभी को मूल्यों के गौरव को भूलकर समाज के लिए और अधिक गहनता से कार्य करना चाहिए। पद्म पुरस्कारों का पुरस्कार और चयन पहले की तुलना में कहीं अधिक पारदर्शी और दूरदर्शी है।