कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तथा संघ के पदाधिकारी जिष्णु बसु और प्रदीप जोशी को कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को राहत दी है। न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और रवीन्द्रनाथ सामंत की पीठ ने कहा कि अगले आदेश तक उनकी अग्रिम जमानत लागू रहेगी।
इन तीनों नेताओं पर आरोप है कि 29 नवंबर 2016 को तीनों ने शरत बोस रोड स्थित एक फ्लैट में एक महिला के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया था। इस मामले में 14 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने तीनों को अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी। घटना के बाद पीड़िता और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी मिलने लगी। धमकी के इसी आरोप के आधार पर 2019 में सरसुना और 2020 में बोलपुर में शिकायत दर्ज कराई गई थी। हालांकि पुलिस ने सरसुना थाने की शिकायत (क्लोजर रिपोर्ट दाखिल) का निस्तारण कर दिया है। इसके बाद 2020 में महिला ने अलीपुर निचली अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया। पीड़िता ने कोर्ट से एफआईआर दर्ज कराने की अपील की।
इस साल एक अक्टूबर को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने निचली अदालत को उनकी अपील पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।न्यायाधीश ने 8 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद उसी दिन कैलाश समेत तीन लोगों के खिलाफ भवानीपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस पर तीनों नेताओं ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। इस मामले में शरत बोस रोड स्थित उस फ्लैट के दो लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।