कोलकाता : केंद्र सरकार कोलकाता के मशहूर खिदिरपुर डॉक (जहाजघाट) का आधुनिकीकरण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत करने जा रही है। वर्ष 1882 में बना यह बंदरगाह देश में जल मार्ग परिवहन का सर्वश्रेष्ठ विकल्प माना जाता है। हालांकि समय के साथ इसका आधुनिकीकरण नहीं हो सका है।
केंद्रीय बजट में बंदरगाहों के विकास की योजना पेश किए जाने के बाद अब पीपीपी मॉडल के तहत इस के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस डॉक पर 21 बर्थ हैं। बॉस्क्ल ब्रिज के जरिए यह दो हिस्सों में बंटा है। बॉस्क्ल ब्रिज के अलावा स्विंग ब्रिज भी इसी डक पर बना हुआ है। हल्दिया बंदरगाह और कोलकाता बंदरगाह के विकसित होने के बाद धीरे-धीरे इसका महत्व कम होने लगा था लेकिन अब इसे भी अत्याधुनिक करने की तैयारी की गई है। 30 साल बाद केंद्र सरकार ने यह पहल की है।
पहले चरण में इसके आधुनिकीकरण पर 25 करोड़ 66 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे जबकि दूसरे चरण में 86 करोड़ 15 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए टेंडर जारी किए गए हैं और छह संस्थाओं ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई है। कोलकाता बंदरगाह के चेयरमैन विनीत कुमार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि खिदिरपुर डॉक में कई गुड्स शेड है। यह काफी पुराने हो चुके हैं और खंडहर में तब्दील होने वाले हैं इसलिए इन्हें तोड़कर अत्याधुनिक किया जा रहा है। सामानों को उतारने और चढ़ाने के लिए आधुनिक क्रेन लगाए जाएंगे। इसके अलावा इसका इंफ्रास्ट्रक्चर भी वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा। अगले एक साल में धीरे-धीरे इस काम को पूरा किया जाना है।