हावड़ा : रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में महाअष्टमी के दिन देश विदेश से उमड़े हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सोमवार को कुमारी पूजन की वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन पूरी श्रद्धा के साथ किया गया। मिशन की ओर से इस बारे में बताया गया है कि सोमवार की सुबह बेलूर की ही पांच साल की बच्ची को देवी शक्ति के रूप में पूजा गया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1901 में स्वामी विवेकानंद ने बेलूर मठ में कन्या पूजन की शुरुआत की थी। तत्कालीन भारत में बालिकाओं और कन्या संतान के महत्व को स्थापित करने के लिए उन्होंने महा अष्टमी के दिन कन्या पूजन किया था। उसके बाद लगातार बेलूर मठ में कन्या पूजन की परंपरा चली आ रही है। उसी के अनुसार सोमवार की सुबह पूजा के लिए चयनित बालिका ने पुरोहित की मौजूदगी में गंगा नदी में स्नान किया जिसके बाद लाल साड़ी और आभूषणों से सजा कर उन्हें भगवती दुर्गा की प्रतिमा के ठीक सामने एक ऊंचे आसन पर बैठाया गया। यहां पुरोहितों ने शक्ति आराधना का मंत्र पढ़कर उनकी पूजा की। इसके साथ ही पुष्पांजलि अर्पित की गई है। मिशन की ओर से बताया गया है कि हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अष्टमी के दिन देवी शक्ति के रूप में पूजित होने वाली बच्चियों में माँ दुर्गा प्रकट होती हैं इसीलिए उन्हें पुष्पांजलि देने की भी रीति है। बेलूर मठ में हुए इस कन्या पूजन कार्यक्रम के दौरान विशेष तौर पर देश के दूसरे शहरों के मिशन के प्रतिनिधि मौजूद थे।
दरअसल यह रिवाज माना जाता है कि महा अष्टमी के दिन माँ दुर्गा ने कुमारी अवतार लेकर कोलासुर का वध किया था। उसके बाद से ही यह परंपरा रही है कि अष्टमी को विभिन्न मंडपों में भी कुमारी पूजन और संध्या आरती होती है। यह देवी का विशुद्ध रूप माना जाता है।