West Bengal : संदेशखाली की तरह अल्पसंख्यकों ने मालदा में पुलिस पर हमला किया, इस्तीफा दें ममता- शुभेंदु

कोलकाता : नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मालदा जिले के मनिकचक में हुई हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जैसे संदेशखाली में ममता बनर्जी के दुलारे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने ईडी पर हमला किया वैसे ही इसी समुदाय के लोगों ने बेलगाम तरीके से मालदा में इस मॉडल को अपनाते हुए पुलिसकर्मियों पर हमला किया है। शुभेंदु अधिकारी ने अपने ट्वीट में कहा कि “इतिहास खुद को दोहराता है,” और बंगाल में यह कहावत पूरी तरह से सटीक बैठती है।

उन्होंने बताया कि संदेशखाली मॉडल के नाम से मशहूर हो चुकी भीड़तंत्र की घटनाओं ने पूरे राज्य में कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। अधिकारी ने कहा कि संदेशखाली के ‘बेताज बादशाह’ के गुंडों द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों पर हमले ने पूरे राज्य के एक विशेष समुदाय को प्रेरित किया है, जो अब कानून व्यवस्था के रक्षकों पर हमला करना अपना अधिकार समझने लगे हैं।

अधिकारी ने कहा है कि यह मॉडल हाल ही में मालदा के मनिकचक में भी देखने को मिला, जहां अल्पसंख्यक-बहुल इनायतपुर में हिंसक भीड़ ने पश्चिम बंगाल पुलिस के वाहनों को नुकसान पहुंचाया, अधिकारियों पर शारीरिक हमला किया और उनके कैंप को जला दिया। बिना किसी बचाव के, पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोली चलानी पड़ी। इस घटना ने बंगाल को ‘जंगल राज’ की ओर बढ़ते हुए दिखाया है।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बाहरी तत्वों को दोष देना बेकार है। इसके लिए पश्चिम बंगाल की गृह मंत्री ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं, जिनकी निरंतर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति ने हालात को बदतर बना दिया है। अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने तुष्टिकरण की जो चिंगारी जलाई थी, वह अब उनके नियंत्रण से बाहर हो गई है। एक समय कानून व्यवस्था के एजेंट माने जाने वाले पुलिसकर्मी अब बढ़ते ‘जंगल राज’ को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं। बंगाल ‘तालिबानी शासन’ की कगार पर खड़ा है।

ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग

उन्होंने सवाल उठाया कि जब पुलिस खुद को सुरक्षित नहीं रख सकती और अपनी जान बचाने के लिए भागने को मजबूर है, तो वे करोड़ों आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे करेंगे? अब समय आ गया है कि गृह मंत्री अपनी असफलताओं को स्वीकार करें और पद छोड़ दें।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को बिजली कटौती के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था। बचाव में पुलिस कर्मियों को फायरिंग करनी पड़ी थी।

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