लखनऊ : देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलांबर ने अदब के शहर लखनऊ में पहली बार साहित्यिक महफिल सजाई। ऑल इंडिया कैफ़ी आज़मी एकेडमी में नीलांबर द्वारा आयोजित साहित्य और सिनेमा के संयुक्त कार्यक्रम ‘साहित्यम’ में कई शहरों के साहित्यकार और कवि शामिल हुए।
तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में अपना प्रतिवेदन रखते हुए नीलांबर के सचिव ऋतेश कुमार ने कहा कि नीलांबर ने साहित्य को तमाम विधाओं से जोड़कर उसे आमजनों तक पहुंचाने की कोशिश की। हम जो करते हैं, उसका संबंध विशुद्ध साहित्य से है, चाहे वह नाटक हो, सिनेमा हो या कविता…!
संस्था के अध्यक्ष यतीश कुमार ने स्वागत भाषण में कहा कि इरादा सिर्फ मजबूत नहीं करता वो लचीला भी बनाता है और इसी लचीलेपन का परिणाम है कि हम आज लखनऊ में कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्होंने नीलांबर के प्रयासों और इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में मौजूद हिंदी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि समय की उदासी के माहौल के बीच नीलांबर का कोलकाता से लखनऊ आना बड़ी बात है। उन्होंने नीलांबर की टीम का अभिवादन भी किया ।
कार्यक्रम के पहले सत्र में कथाकार अखिलेश की अध्यक्षता में किरण सिंह एवं सत्य व्यास ने कहानियों का पाठ किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रतिष्ठित कथाकार अखिलेश ने ‘कहानी: इस समय दुस्समय’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के समय में कालजयी कहानियां बड़ी मुश्किल से मिल रही हैं, अब यह कहानी की समस्या है या पत्रिका की इस पर बात होनी चाहिए। विचारधारा कहानियों को दृष्टि देने के साथ-साथ मुश्किलें भी पैदा करता है, इसलिए पहले कहानी में उस अंधेरे यथार्थ को ढूंढना आवश्यक है।’ किरण सिंह ने अपनी कहानी ‘मित्र कीटाणु’ वहीं सत्य व्यास ने कहानी ‘मछलियाँ भी रोती हैं’ के पाठ से श्रोताओं को शब्दों के नए आयाम तक पहुंचाया। कहानी पाठ के उपरांत नीलांबर द्वारा निर्मित नरेश सक्सेना की कविता ‘गिरना’ पर आधारित वीडियो मोंताज का प्रदर्शन हुआ। इस कोलाज में कविता की आवृत्ति स्मिता गोयल ने की है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र और कविता पाठ के प्रथम सत्र में राकेश मिश्र की अध्यक्षता में सुशीला पुरी, आनंद गुप्ता, शालिनी सिंह, प्रीति चौधरी, प्रिया वर्मा, रूपम मिश्र व मनीष यादव ने काव्य पाठ किया। इसके उपरांत उदय प्रकाश की कविता ‘विरजित खान’ पर नीलांबर द्वारा निर्मित वीडियो मोंताज प्रस्तुत किया गया। इसमें आवृत्ति ममता पांडेय ने की है।
कार्यक्रम के तीसरे व कविता पाठ के दूसरे सत्र में कात्यायनी की अध्यक्षता में अविनाश मिश्र, वीरू सोनकर, संध्या नवोदिता, जोशना बैनर्जी आडवानी, नताशा, नाजिश अंसारी और सीमा सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति सुप्रसिद्ध कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर बनी फिल्म ‘संवदिया’ का प्रदर्शन रहा। नीलांबर के बैनर तले बनी इस 40 मिनट की फिल्म का निर्देशन रंग-निर्देशक ऋतेश कुमार ने किया है। मालूम हो कि डिजिटल प्लेटफार्म एमएक्स प्लेयर पर आने के बाद यह फिल्म चर्चा में बनी हुई है और लखनऊ के साहित्य-कला प्रेमियों के लिए इसे विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया।
इस एक दिवसीय साहित्यिक उत्सव में शहर के कई साहित्यप्रेमी एवं गण्यमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन क्रमशः मनीषा चौधरी, नताशा, वीरू सोनकर और रचना सरन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आशा पांडेय ने किया। इस कार्यक्रम की तकनीकी टीम में मनोज झा, विशाल पांडेय, अभिषेक पांडेय, हंसराज और भरत साव शामिल थे। कार्यक्रम के संयोजन में राकेश मिश्र, सुशीला पुरी, नलिन रंजन सिंह, मनीषा चौधरी, मनीष थपलियाल, प्रशांत कुमार सिंह , नीरज श्रीवास्तव, अरुण सिंह , लक्ष्मी यादव, फहीम खान ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।