पटना : बिहार में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल जोर आजमाइश कर रहे हैं। भाजपा नीत राजग गठबंधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम बड़े नेता ताबड़तोड़ रैली-जनसभा कर रहे हैं। दूसरी ओर आईएनडीआईए गठबंधन में अभी तक सभी सीटों पर उम्मीदवारों का फैसला नहीं हो पाया है।
समय से सीट का बंटवारा न होना और मन मुताबिक सीट नहीं मिलना महागठबंधन में किचकिच का कारण बना हुआ है। इसके साथ ही अब यह मामला पार्टी के इस रवैया से नाराज नेता के दल छोड़ने तक पहुंच चुका है। राजद ने एकतरफा निर्णय लेते हुए महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस को कठिन मैदान में भेज दिया और अब अपने उम्मीदवारों के चयन में मनमानी किए जा रहा है।
कांग्रेस को बिहार में नौ सीटें मिली हैं, इनमें पार्टी ने आधिकारिक रूप से अब तक सिर्फ तीन उम्मीदवारों की घोषणा की है। कटिहार से तारिक अनवर, किशनगंज से मोहम्मद जावेद और भागलपुर से अजीत शर्मा। बाकी छह सीटों पर कौन चुनाव लड़ेगा यह अब तक साफ नहीं है। हालांकि मुजफ्फरपुर से भाजपा से कांग्रेस में आए अजय निषाद और समस्तीपुर से जदयू नेता महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी की चर्चा है जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। मगर उनका टिकट भी अभी तक फाइनल नहीं हुआ है।
राज्य में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राजद में सीटों के बंटवारे का हाल तो और भी बुरा है। पार्टी ने आधिकारिक रूप से अपने खाते की 26 में से सिर्फ छह सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें से जमुई, गया, औरंगाबाद, नवादा, पूर्णिया और बांका सीट के उम्मीदवार हैं, जिन्हें पहले और दूसरे चरण के चुनाव में भाग लेना है। इनके अलावा लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की दोनों बेटियां मीसा भारती और रोहिणी आचार्य, उजियारपुर से आलोक मेहता, दरभंगा से ललित यादव आदि के नाम तय माने जा रहे हैं, हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। इनमें से कई लोग चुनाव प्रचार में भी उतर चुके हैं। इनके अलावा ज्यादातर सीटों पर कौन चुनाव लड़ेगा यह तय नहीं।
दूसरी तरफ भाजपा की अगुवाई वाले राजग गठबंधन के सभी सीटों के उम्मीदवार काफी पहले घोषित हो चुके हैं और वे अपनी सीटों पर चुनाव अभियान चला रहे हैं। भाजपा और जदयू ने 24 मार्च को ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। जीतनराम मांझी की ‘हम’ और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के उम्मीदवार घोषित ही थे। कुछ ही दिन बाद चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी अपने पांचों उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।
बीते पांच अप्रैल को राजद ने अपने कोटे की तीन सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को देकर उन्हें इंडी गठबंधन का हिस्सा बना लिया। ये सीटें गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी थीं। इन सीटों पर कुछ राजद नेता अपना दावा मानकर चुनावी तैयारी कर रहे थे। खासकर झंझारपुर की सीट पर राजद के पुराने और चर्चित नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा था। इस घोषणा के बाद देवेंद्र यादव काफी नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी पर टिकट बेचे जाने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने पार्टी सुप्रीमो लालू यादव को पत्र लिखकर कहा, “ऐसा लगता है जैसे पार्टी चुनाव लड़ने की औपचारिकता निभा रही है। महागठबंधन में टिकटों की अभी तक की जो उम्मीदवारी हुई है इससे यह स्पष्ट लग रहा है कि भाजपा गठबंधन का पलड़ा बिहार में विपक्षी गठबंधन के मुकाबले भारी है।