नयी दिल्ली : चुनाव आयोग अगले लोकसभा चुनाव में राज्य में जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा केंद्रीय बल तैनात करना चाहता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को हाल ही में भेजे गए एक पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में केंद्रीय बलों की 920 कंपनियां तैनात करना चाहते हैं। इसके अलावा केंद्रीय बलों की 22 कंपनियां स्ट्रांगरूम और मतगणना केंद्रों की सुरक्षा में तैनात रहेंगी। ऐसे में राज्य के वोट में कुल मिलाकर लगभग 950 कंपनियां या 10 लाख (एक कंपनी में 100 जवान) के करीब जवानों की तैनाती की जा सकती है।
एक राज्य में चुनाव के लिए इतनी बड़ी संख्या में केंद्रीय बलों को तैनात करना शायद पहली बार होगा। आयोग के मुताबिक किसी भी क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में बलों की तैनाती पहले कभी नहीं की गई है। जम्मू-कश्मीर या माओवादी बहुल छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्यों में भी नहीं।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में केंद्रीय बलों की 740 कंपनियां तैनात की गई थीं। पिछले पंचायत चुनावों में, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, कम से कम 800 कंपनी केंद्रीय बलों की मदद से राज्य में पंचायत चुनाव कराना था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था।
अब आयोग ने बंगाल के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए सबसे ज्यादा केंद्रीय बल मांगा है। हालांकि, इसकी संख्या राज्य की तुलना में काफी कम है। वहाँ निष्पक्ष चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की 635 कंपनियां मांगी गई हैं।
उत्तर प्रदेश के लिए 252 कंपनियां मांगी गई हैं। बिहार और छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय बलों की क्रमशः 295 और 360 कंपनियां मांगी गई हैं।
लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे पत्र में कहा, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के लिए केंद्रीय बलों की 250 कंपनियों की जरूरत है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम को क्रमशः 75 और 17 कंपनियों की आवश्यकता होगी।
आयोग ने झारखंड और पंजाब के लिए सैनिकों की 250 कंपनियां मांगीं। इसके अलावा आयोग ने मणिपुर के लिए 200 कंपनी फोर्स मांगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात के लिए भी 200 कंपनी बल की मांग की गई है।