नई दिल्ली : महाराष्ट्र राज्य को नया मुख्यमंत्री तो मिल गया है लेकिन शिवसेना और उसके विरोधी शिंदे गुट के विधायकों की टेंशन अभी खत्म नहीं हुई है। शिवसेना और उसके बागी गुट के विधायक रविवार को होने वाले विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अजीब पशोपेश में हैं। विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए शिवसेना के उद्धव गुट ने अपने सभी सदस्यों के लिए व्हिप जारी कर दी है। इसके अलावा बागी गुट के सचेतक भी अपने को असली पार्टी का दावा करते हुए अपने सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी कर सकते हैं। किसी भी अनचाही परिस्थित में दोनों में से एक गुट कोर्ट तक पहुंच सकता है। यदि ऐसा होता है तो राज्य में स्पीकर का चुनाव एक बार फिर कानूनी पचड़ों में पड़ सकता है। माना जा रहा है कि रविवार को एकनाथ शिंदे गुट को असली अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।
रविवार को महाराष्ट्र सदन में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस पद के लिए शिवसेना ने विधायक राजन साल्वी और एनडीए की ओर से भाजपा ने विधायक राहुल नार्वेकर को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है। इस चुनाव के लिए शिवसेना के उद्धव गुट के सचेतक सुनील प्रभु ने विधायकों को व्हिप जारी कर विधानसभा के सभी शिवसेना सदस्यों को पूरे चुनाव के दौरान सदन में मौजूद रहने को कहा है। इसके जवाब में एकनाथ शिंदे गुट ने अपने को असली शिवसेना बताते हुए भरत गोगावले को अपना सचेतक नियुक्त किया है। ऐसे में विद्रोही गुट का सचेतक उद्धव गुट के सदस्यों को भी भाजपा उम्मीदवार को वोट देने के लिए एक व्हिप जारी कर सकता है। ऐसे में भरत की व्हिप को सभी 55 विधायकों को मानना पड़ेगा। यदि उद्धव गुट के 16 विधायक इस व्हिप का उल्लंघन करते हैं तो इन 16 विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।
शिंदे ग्रुप का दावा है कि 39 विधायकों ने सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना है और भरत गोगावले उनके चीफ व्हिप हैं। इसके विपरीत उद्धव गुट भी दावा कर रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अजय चौधरी को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है। इस नियुक्ति को विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी जिरवल ने मान्यता भी दी है और सुनील प्रभु उनके चीफ व्हिप हैं। ऐसे में चीफ व्हिप सुनील प्रभु के व्हिप को बागी 39 विधायकों को भी मानना पड़ेगा।
माना जा रहा है कि स्पीकर चुनाव के लिए जब मतदान होगा तो उस दौरान शिंदे गुट और उद्धव गुट अपने-अपने व्हिप के उल्लंघन होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। ऐसे में कोर्ट ही फैसला करेगा कि किसका व्हिप सही था और उल्लंघन करने वाले सदस्यों की सदस्यता रद्द होगी या नहीं। यदि ऐसी स्थिति आती है तो एक बार फिर इस मामले में कोर्ट की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इस संबंध में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी संकेत दिए हैं कि इस पर एक लंबी कानूनी लड़ाई होगी कि शिवसेना के किस समूह को आधिकारिक विधायक दल माना जाए।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र रविवार और सोमवार बुलाया गया है। सदन में 4 जुलाई को मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे को बहुमत साबित करना है। इससे पहले 3 जुलाई को विधानसभा में अध्यक्ष का चुनाव होना है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसी आधार पर पिछले सत्र के दौरान राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने से इनकार कर दिया था।