आईपीसी में सुधार के बहाने ममता ने लगाया गैर नागरिकता अधिनियम जोड़ने का आरोप

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुराने कानून में बदलाव के बहाने गैर नागरिकता अधिनियम जोड़ने का आरोप लगाया है। इशारे-इशारे में उन्होंने देश के कुछ समुदाय के लोगों की नागरिकता छीनने की साजिश का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि यह खतरनाक है।

बुधवार अपराह्न के समय उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए मसौदे पढ़ रहे हैं। यह देखकर स्तब्ध रह गई कि इन प्रयासों में चुपचाप बेहद कठोर और खतरनाक नागरिक विरोधी प्रावधानों को लागू करने का गंभीर प्रयास किया जा रहा है।

पहले राजद्रोह कानून था; अब, उन प्रावधानों को वापस लेने के नाम पर, वे प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में और अधिक गंभीर और मनमाने उपाय पेश कर रहे हैं, जो नागरिकों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

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वर्तमान अधिनियमों को न उपनिवेशमुक्त किया जाना चाहिए। देश के न्यायविदों और सार्वजनिक कार्यकर्ताओं से आपराधिक न्याय प्रणाली के क्षेत्र में लोकतांत्रिक योगदान के लिए इन मसौदों का गंभीरता से अध्ययन करने का आग्रह है। संसद में मेरे सहयोगी इन मुद्दों को स्थायी समिति में उठाएंगे जब इन पर विचार-विमर्श किया जाएगा। अनुभवों के आलोक में कानूनों में सुधार की जरूरत है, लेकिन औपनिवेशिक अधिनायकवाद को दिल्ली में पिछले दरवाजे से प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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