कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर दिसंबर महीने में राज्य में अशांति की आशंका जाहिर की है। गुरुवार को नदिया जिले के रानाघाट में प्रशासनिक बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि दिसंबर में राज्य में अशांति हो सकती है इसलिए प्रशासन को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। इसके पहले गत मंगलवार को नदिया के लिए रवाना होने से पहले मंत्रिमंडल की बैठक में भी उन्होंने इसी तरह की आशंका जाहिर की थी।
बंगाल भाजपा के कई नेताओं ने दावा किया है कि दिसंबर में ममता बनर्जी की सरकार गिर जाएगी। इस बीच उनका इस तरह का दावा राज्य में सुर्खियां बटोरने वाला है। ममता ने गुरुवार को प्रशासनिक बैठक में राज्य पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय को विशेष तौर पर निर्देश देते हुए पूछा कि नदिया में कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है? इसके जवाब में डीजी ने कहा कि नदिया बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ जिला है इसलिए यहां सुरक्षा पर विशेष तौर पर नजर रखी जाती है। उसके बाद ममता ने कहा कि कई लोग हैं जो दिसंबर महीने में राज्य में अशांति करने की साजिश रच रहे हैं। कर्नाटक में उन लोगों ने (भाजपा) अशांति फैला दी है। बंगाल में भी इसी तरह की साजिश हो रही है लेकिन जीवन शांतिपूर्वक तरीके से रहने का नाम है। प्रशासन को इसके लिए विशेष तौर पर सतर्क रहना होगा।
2024 तक बंगाल के हर घर में पहुंचेगा नल से जल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को घोषणा की है कि वर्ष 2024 तक राज्य के प्रत्येक घर में नल से जल पहुंच जाएगा। नदिया के रानाघाट में प्रशासनिक बैठक के दौरान ममता ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि हर एक घर में पीने का शुद्ध पानी पहुंचे इसके लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। 2024 साल तक घर-घर पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाने की योजना लगभग पूरी होने वाली है।
ममता बनर्जी ने यह भी घोषणा की कि लक्ष्मी भंडार योजना का लाभ और अधिक महिलाओं को मिले इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। इसके अलावा एक बार फिर उन्होंने केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना का फंड रिलीज नहीं करने को लेकर हमला बोला। ममता ने कहा कि लोग काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें पैसे नहीं मिल रहा क्योंकि केंद्र सरकार ने रोक रखा है। नागरिकता अधिनियम को लेकर भी एक बार फिर उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आता है तो लोगों को बरगलाने के लिए भाजपा नागरिकता का रोना रोती है और चुनाव जाते ही उनके नेता पूछने तक नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम चुनावी जुमले के अलावा और कुछ नहीं है। लोगों को इसमें फंसना नहीं चाहिए।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के तीन जिलों में नागरिकता अधिनियम लागू होने के बाद बंगाल भाजपा के नेता अब एक बार फिर राज्य में इसे लागू करने की प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं। दूसरी तरफ वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाए जाने पर मतुआ समुदाय के लोगों ने शांतनु ठाकुर को भाजपा सांसद के तौर पर जीत दिलाई थी लेकिन नागरिकता अधिनियम पर कुछ नहीं किया गया। इसे लेकर समुदाय में गहरा रोष है जिसके कारण शांतनु ने कई बार भाजपा से इस्तीफा देने की भी चेतावनी दी है। अब जबकि चुनाव करीब है तो एक बार फिर नागरिकता अधिनियम का मुद्दा जोर पकड़ रहा है।