कोलकाता : श्रीनगर में शहीद दिवस पर एक बार फिर राजनीति गर्मा गई है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार सुबह पुलिस की रोक के बावजूद दीवार फांदकर ‘मज़ार-ए-शुहदा’ (शहीदों का कब्रगाह) पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों से धक्का-मुक्की भी हुई। उमर ने केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस घटना को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है।
श्रीनगर में हर साल 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1931 में इसी दिन डोगरा शासक हरि सिंह की सेना द्वारा मारे गए 22 कश्मीरी आंदोलनकारियों की याद में यह दिन मनाया जाता है, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद केंद्र सरकार ने इस दिन की सरकारी मान्यता खत्म कर दी थी। इसबार 13 जुलाई से पहले ही प्रशासन ने ‘मज़ार-ए-शुहदा’ तक जाने पर रोक लगा दी थी और किसी भी तरह के आयोजन की अनुमति नहीं दी गई थी।
उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके सहयोगियों को घर में नजरबंद कर दिया गया था और कब्रगाह तक पहुंचने से रोक दिया गया। सोमवार सुबह वे किसी तरह सुरक्षा घेरे से निकलकर कब्रगाह के पास पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि उमर ने जूते उतारकर दीवार फांदी और भीतर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “अगर कोई शहीदों को श्रद्धांजलि देना चाहता है, तो इसमें समस्या क्या है? यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने की कोशिश हो रही है। एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है।”