विधानसभा में ममता बनर्जी की हुंकार : हर कीमत पर जारी रखेंगे दुआरे राशन योजना

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट के खंडपीठ की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी दुआरे राशन योजना को अवैध करार दिए जाने के बावजूद ममता बनर्जी ने इसे हर कीमत पर लागू करने की हुंकार भरी है। गुरुवार को राज्य विधानसभा में संबोधन के दौरान ममता बनर्जी ने कहा, ‘बंगाल के लोगों के घर तक राशन पहुंचाने की योजना किसी भी कीमत पर बंद नहीं होगी। इसे लागू करके रहूंगी, इसके लिए चाहे जितनी दूर तक जाना पड़े।’

ममता ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर विधानसभा के जरिए अदालत में आवेदन किया जाएगा लेकिन यह योजना चलेगी। राशन डीलरों को साफ तौर पर संदेश देते हुए ममता ने कहा कि कोई अकेला खाएगा और दूसरे को नहीं खाने देगा, यह बंगाल में नहीं चलेगा। ममता ने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए दुआरे राशन योजना शुरू की गई है और वह हर हाल में चलेगी। राशन डीलरों को 480 करोड़ रुपये इन्सेंटिव दिया गया है। किसी की भी जबरदस्ती के सामने सरकार सिर नहीं झुकाएगी। उसके लिए चाहे जितनी दूर जाना पड़ेगा, जाऊँगी।

राशन से संबंधित एक सवाल के जवाब में ममता ने कहा कि दुआरे राशन योजना को केवल कुछ लोग रोकना चाहते हैं, सबको इससे आपत्ति नहीं है। समाज के 99 फ़ीसदी लोग अच्छे हैं लेकिन केवल एक फीसदी लोग चाहते हैं कि वह खुद खाएंगे लेकिन किसी और को खाने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि अगर राशन डीलर इस योजना के क्रियान्वयन में दिलचस्पी नहीं लेंगे तो सरकार कार्रवाई के लिए भी कड़ा कदम उठाएगी।

उल्लेखनीय है कि गत 28 सितंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दुआरे राशन योजना को अवैध करार दिया था। इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

राशन डीलरों ने कहा : न्यायालय के आदेश का इंतजार

इधर मुख्यमंत्री की दो टूक चेतावनी पर फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के महासचिव विश्वंभर बसु ने कहा कि मुख्यमंत्री जिसे जबरदस्ती लागू करने पर तुली हैं वह राजस्व को भी नुकसान पहुंचाने वाला है। इससे प्रति महीने पश्चिम बंगाल सरकार को 52 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इसके अलावा यह केंद्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के विपरीत कदम है। हाईकोर्ट के खंडपीठ ने ममता सरकार की इस योजना को अवैध बता दिया है और इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है तो हम लोग फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हकीकत यह है कि हमें राशन डीलर के बजाय फेरीवाला बनाने की कोशिश हो रही है जो स्वीकार्य नहीं है।

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