कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश में बाढ़ से उत्पन्न संकट के लिए दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) को जिम्मेदार ठहराया है। ममता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर मदद की गुहार भी लगायी है।
मुख्यमंत्री ममता ने अपनी चिट्ठी में डीवीसी पर बिना योजना के पानी छोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि दक्षिण बंगाल के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति बनी रही तो पश्चिम बंगाल डीवीसी के साथ अपने संबंध खत्म कर देगा।
उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि डीवीसी द्वारा बिना योजना के माईथन और पंचेत जलाशयों से पांच लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण दक्षिण बंगाल के लगभग सभी जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे पूर्वी और पश्चिमी बर्दवान, हावड़ा, हुगली, पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर, बीरभूम और बांकुरा के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। डीवीसी ने इससे पहले कभी इतना पानी नहीं छोड़ा।
ममता ने बताया कि दक्षिण बंगाल में इस समय 1000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा का क्षेत्र बाढ़ग्रस्त है और 50 लाख से अधिक लोग इस आपदा से प्रभावित हैं। कृषि भूमि और निजी संपत्तियों को भी भारी नुकसान हुआ है। ममता ने इसे ‘मानव निर्मित’ आपदा बताते हुए कहा कि डीवीसी अगर अपने जलाशयों और बांधों को सही तरीके से नियंत्रित करता तो इस बाढ़ को रोका जा सकता था और नुकसान भी कम हो सकता था।
मुख्यमंत्री ममता ने 16 सितंबर से डीवीसी ने कितनी मात्रा में पानी छोड़ा है, इसका पूरा विवरण प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही डीवीसी को विभिन्न नदियों के जलस्तर की जानकारी दी थी लेकिन इसके बावजूद पानी छोड़ने का सिलसिला कम नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीवीसी के चेयरमैन से उन्होंने खुद फोन पर बात की थी लेकिन 17 तारीख से पानी छोड़ने की मात्रा लगातार बढ़ती गई।
ममता ने यह भी कहा कि माईथन और पंचेत जैसे जलाशयों की क्षमता बढ़ाने और उनके रखरखाव की जरूरत है। पिछले 10 वर्षों से डीवीसी और केंद्र सरकार से इसकी मांग की जा रही है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। ममता ने आरोप लगाया कि डीवीसी का प्राथमिक कार्य बाढ़ को रोकना है लेकिन इसके बजाय वह बिजली उत्पादन पर ध्यान दे रहा है, जिससे बंगाल को भारी नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस गंभीर समस्या पर त्वरित कदम उठाए जाएं और बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र सरकार बंगाल को पर्याप्त वित्तीय मदद मुहैया कराए।