कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नागरिकता अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की तैयारी में है। सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ विधायक ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि नागरिकता अधिनियम के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
मंगलवार को उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जो लोग लंबे वक्त से मतदान करते आ रहे हैं, जिनका आधार कार्ड, वोटर कार्ड है, जिनकी जमीनें यहां हैं, उन्हें नए सिरे से नागरिकता देना केवल गुमराह करना है। हकीकत में उन्हें नागरिकता की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि नागरिकता अधिनियम की आड़ में गैर हिंदू और हिंदू समुदाय के बीच नफरती माहौल बनाना है, जो चुनाव के समय में सांप्रदायिक दलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस साजिश को भलीभांति समझती हैं, इसलिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नागरिकता अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा।
वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही बंगाल में नागरिकता अधिनियम लागू करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि नागरिकता अधिनियम को सबसे पहले पश्चिम बंगाल में ही लागू किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र आगामी 18 नवंबर से शुरू होगा और 30 नवंबर तक चलेगा।