कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेशानुसार दो दर्जन से अधिक मामलों की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राज्य में अपनी मौजूदा मैन पावर की समीक्षा शुरू कर दी है। शिक्षक नियुक्ति, कोयला तस्करी, मवेशी तस्करी, बच्चियों से दुष्कर्म, नारद स्टिंग समेत चिटफंड और कई अन्य मामलों की जांच सीबीआई पश्चिम बंगाल में कर रहा है। इसे देखते हुए केंद्रीय एजेंसी उन क्षेत्रों की पहचान कर रही है जहां अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता है।
सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में सीबीआई की दो इकाइयां पश्चिम बंगाल में काम कर रही हैं, पहली एंटी-करप्शन विंग (एसीबी) है, जो सरकारी स्कूलों में भर्ती, पशु तस्करी और कोयले तस्करी में विभिन्न वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। एसीबी मध्य कोलकाता में सीबीआई के निजाम पैलेस से कार्य करती है।
सीबीआई की दूसरी इकाई विशेष अपराध शाखा (एससीबी) की है, जो पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के मामलों की जांच कर रही है। यह इकाई साल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित कार्यालय से संचालित होती है।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक अजय भटनागर की हालिया कोलकाता यात्रा के दौरान, एजेंसी के अधिकारियों ने मामलों की बढ़ती संख्या की पृष्ठभूमि में, विशेष रूप से एसीबी में अपने कोलकाता कार्यालयों में जनशक्ति की कमी की समस्या पर प्रकाश डाला था।
सूत्रों ने बताया है कि उस समय भटनागर ने आश्वासन दिया था कि जांच की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अन्य राज्यों के अधिकारियों को शीघ्र ही पश्चिम बंगाल में प्रतिनियुक्त किया जाएगा। इसे देखते हुए वर्तमान जनशक्ति समीक्षा उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए चल रही है जहां अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता है और उन क्षेत्रों में रैंक-आधारित अधिकारियों की नियुक्ति जरूरी है।
समीक्षा में प्रारंभिक अनुमान बताते हैं कि उप-अधीक्षक, निरीक्षक और उप-निरीक्षक के पद पर लगभग 100 अतिरिक्त मैन पावर की आवश्यकता है। पता चला है कि भटनागर ने अपने कनिष्ठ सहयोगियों को तत्काल कुछ अतिरिक्त बल देने का आश्वासन दिया है और शेष को जनशक्ति समीक्षा के अनुसार आवश्यकताओं के आधार पर किया जाएगा।
हाल ही में, सीबीआई को विभिन्न मामलों में अपनी धीमी गति से जांच के लिए कई मामलों में न्यायाधीशों की फटकार का सामना करना पड़ा था, विशेष रूप से शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में घोटाले से संबंधित मामले में। दरअसल, घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीमें भी जांच के दौरान अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम सामने आने के मद्देनजर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है।