स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार तीन बार सबसे स्वच्छ नगर का खिताब जीतने वाला मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यापारिक केंद्र माने जाने वाले इंदौर के लिए 03 मार्च 1716 का दिन काफी महत्वपूर्ण है। जब राजा राव नंदलाल मंडलोई ने मुगल शासक से फरमान हासिल कर इंदौर को टैक्स फ्री जोन बनाया था।
पूर्व में ही महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल के रूप में अपनी पहचान रखने वाले इंदौर का ब्रिटिशकाल में भी औद्योगिक विकास हुआ। इस पुरातन शहर का इतिहास के पन्नों में कई स्थानों पर उल्लेख मिलता है। जिसमें इंदौर को 1715 में मराठा प्रमुखों से व्यापार में दिलचस्पी रखने वाले जमींदारों द्वारा बसाया जाना बताया गया है। 1741 में कंपेल के इन जमींदारों ने ही इंद्रेश्वर मंदिर बनवाया था जिसके नाम पर इलाके का नाम इंद्रपुर, फिर इंदूर व इंडोर और आखिर में इंदौर पड़ा। बौद्ध साहित्य में भी इंदौर का उल्लेख है। माना जाता है कि इंद्रपुरी का नाम पहले चितावद था। इसलिए व्यापारिक, धार्मिक और एतिहासिक रूप से इस शहर का अलग स्थान है।