10 मार्च 1985 भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यादगार तारीख है, जब दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम मेलबर्न में भारत और पाकिस्तान के बीच बेंसन एंड हेजेज वर्ल्ड चैम्पियनशिप का फाइनल मुकाबला खेला गया। भारतीय टीम के कप्तान थे सुनील गावस्कर तो पाकिस्तानी टीम के जावेद मियांदाद।
पहली बार दूधिया रोशनी और रंगीन पोशाक में खेले जा रहे इस टूर्नामेंट में महज दो साल पहले वर्ल्डकप जीतने वाली टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले मैच में ही पाकिस्तान को हराया था। बाद में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को भी पटखनी दी।
फाइनल में टीम इंडिया का सामना एकबार फिर पाकिस्तान से हुआ। पाकिस्तान के कप्तान मियांदाद ने टॉस जीत कर बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन उनका दांव गलत साबित हुआ। कपिलदेव और चेतन शर्मा के शुरुआती झटके के कारण पाकिस्तान की टीम 33 रनों पर चार विकेट खो चुकी थी लेकिन मियांदाद एवं इमरान ने टीम को किसी तरह सौ रनों के पार पहुंचाया। पाकिस्तान निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट पर 176 रन बना सका। जबकि निर्धारित लक्ष्य के साथ भारत ने जबर्दस्त शुरुआत की। रवि शास्त्री और श्रीकांत ने पहले विकेट के लिए 103 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम की जीत पक्की कर दी। 17 गेंद रहते केवल दो विकेट खोकर भारत ने एकतरफा ढंग से मैच जीत लिया।
श्रीकांत मैन ऑफ दी मैच और रवि शास्त्री मैन ऑफ दी सिरीज बने। इस ट्रॉफी को थामते ही सुनील गावस्कर ने घोषणा कर दी कि यह उनकी कप्तानी का आखिरी टूर्नामेंट था। रवि शास्त्री को उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए ऑडी कार मिली थी। जीत के जश्न के बीच इसी कार पर बैठ कर भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान के चक्कर लगाए।