इतिहास के पन्नों में 13 मार्चः उधम सिंह ने लिया ‘जलियांवाला बाग’ का बदला, जनरल डायर को मारी गोली

देश-दुनिया के इतिहास में 13 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिए जाने की गवाह है। 13 मार्च 1940 को लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी’ की ‘कॉक्सटन हॉल’ में बैठक चल रही थी। बैठक में अंग्रेज अफसर जनरल माइकल ओ डायर भी मौजूद था। डायर ने अपना भाषण दिया और अपनी सीट की तरफ लौटने लगा। तभी बैठक में मौजूद एक शख्स ने अपनी किताब में छुपाकर रखी गई रिवॉल्वर निकाली और डायर पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। डायर की मौके पर ही मौत हो गई।

गोलियां बरसाने वाले थे उधम सिंह। उधम सिंह को वहीं पकड़ लिया गया। मुकदमा चला और 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई, लेकिन उधम सिंह ने 19 साल पुराने हत्याकांड का बदला ले लिया। इसके लिए वो छह साल से लंदन में रह रहे थे। ये बदला था जलियांवाला बाग हत्याकांड का। वही, जलियांवाला बाग हत्याकांड जिसमें 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिन रौलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे हजारों लोगों पर जनरल डायर ने गोलियां बरसवाईं थी।

इस गोलीकांड में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसमें महिला, पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे। 1,200 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। सैकड़ों महिलाओं, बूढ़ों और बच्चों ने जान बचाने के लिए वहां बने एक कुएं में छलांग लगा दी, जिसमें उनकी मौत हो गई। इस घटना ने शहीद उधम सिंह के मन में गुस्सा भर दिया था। वो अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। जनरल डायर को मारना उन्होंने अपना खास मकसद बना लिया था।

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