इतिहास के पन्नों में 20 मार्चः टोक्यो में मेट्रो ट्रेन पर सरीन गैस हमला

देश-दुनिया के इतिहास में 20 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख ऐसे हमले की लिए भी दर्ज है, जिसे सरीन गैस हमला कहा जाता है। यह हमला जापान की राजधानी में 1995 में मेट्रो ट्रेन पर हुआ था। 20 मार्च को शोको असहारा नाम के बाबा के कहने पर डूम्सडे पंथ के फॉलोअर्स ने टोक्यो के सबसे मजबूत सब-वे सिस्टम मेट्रो में सरीन गैस से हमला किया था। पांच अलग-अलग ट्रेनों में उन्होंने गैस लीक करने वाले कंटेनर रखवाए थे। इससे 13 लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे।

नर्व एजेंट कहे जाने वाले पदार्थों में से एक सरीन रंगहीन, स्वादहीन तरल और साफ पदार्थ होता है। वाष्प के संपर्क में आते ही सरीन लोगों के लिए जानलेवा बन जाती है। मनुष्य का श्वसन तंत्र बंद हो जाता है। शरीर में ऐंठन और मरोड़ उठती है। इसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजियों ने अपने दुश्मनों पर किया था। शोको असहारा दृष्टिहीन था। शोको ने 1980 में डूम्सडे पंथ बनाया था। इस घटना के बाद शोको और उसके कुछ समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया। शोको असहारा खुद को भगवान बुद्ध का अवतार बताता था। शोको को 2004 में फांसी की सजा सुनाई गई। बाद में उसके छह और समर्थकों को फांसी की सजा हुई। जुलाई 2018 में इन सभी को फांसी पर चढ़ाया गया।

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