देश पर थोपा गया आपातकाल जब 19 माह बाद खत्म हुआ तो इंदिरा गांधी ने 1977 के जनवरी माह में लोकसभा भंग कर आम चुनाव की घोषणा की। जेलों से आजाद होने के बाद अलग-अलग पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ साझा मोर्चा बनाया। जनसंघ, कांग्रेस (ओ), भारतीय लोकदल, सोशलिस्ट पार्टी ने एक होकर जनता पार्टी बनाई, जो कांग्रेस के मुकाबले मुख्य पार्टी थी।
16 से 19 मार्च तक मतदान हुआ और 20 मार्च को मतों की गिनती हुई। लोकसभा की 542 सीटों में कांग्रेस को महज 154 सीटों पर संतोष करना पड़ा जबकि जनता पार्टी ने 295 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इंदिरा गांधी और संजय गांधी, दोनों चुनाव हार गए थे। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को केवल एक-एक सीट मिली। राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
जब सरकार गठन की बारी आई तो मोरारजी देसाई के साथ प्रधानमंत्री पद के लिए चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम भी दावेदार थे। हालांकि जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोरारजी देसाई का समर्थन किया। 24 मार्च 1977 को 81 वर्षीय मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। यह देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी। हालांकि दो साल के भीतर यह सरकार अंतर्विरोधों और महत्वाकांक्षा का शिकार होकर गिर गई।