देश-दुनिया के इतिहास में 06 मई की तारीख तमाम बड़ी घटनाओं के रूप में दर्ज है। यह तारीख भारत को दहलाने वाले पाकिस्तान के आतंकवादी को फांसी की सजा सुनाने के लिए भी याद की जाती है। हुआ यह था कि 26 नवंबर, 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर कराची के रास्ते नाव से घुसे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला 160 से भी ज्यादा नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में मुंबई पुलिस, एनएसजी और एसपीजी के भी 10 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान सुरक्षाबलों ने नौ आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था।
स्पेशल कोर्ट ने 26/11 हमले में 03 मई 2010 को फैसला सुनाते हुए कसाब को दोषी ठहराते हुए 06 मई को फांसी की सजा सुनाई। 2011 में यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट के पास गया। हाई कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी कसाब को राहत नहीं दी और फांसी की सजा पर मुहर लगा दी।
कसाब ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका भेजी। 05 नवंबर को राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज दी। 21 नवंबर, 2012 को पुणे की येरवडा जेल में सुबह 7ः30 बजे कसाब को फांसी दी गई। भारत ने कसाब के शव को पाकिस्तान को सौंपने की पेशकश की। पाकिस्तान के मना करने के बाद जेल में ही शव को दफन कर दिया गया।