विश्व इतिहास में कई तारीखें स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। भारत के संदर्भ में 23 मई, 2016 का संबंध कुछ ऐसा ही है। इस तिथि को भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक कदम और बढ़ाते हुए इतिहास रच कर सारी दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराया।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने दोबारा इस्तेमाल लायक स्वदेशी स्पेस शटल (आरएलवी) को सुबह सात बजकर पांच मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित कर इतिहास रचा।
6.5 मीटर लंबे ‘विमान’ जैसे दिखने वाले इस शटल का वजन 1.75 टन था। इसका मुख्य लक्ष्य पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह को पहुंचाना और फिर वायुमंडल में लौटना था। भारत के इस कदम से दुनिया भर के अंतरिक्ष विज्ञानियों चौंके। क्योंकि पुन:प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण शटल के विचार को अमेरिका और रूस खारिज कर चुके थे।
गौरतलब है कि साल के पांचवें महीने का 23वां दिन तिब्बत पर चीन के औपचारिक कब्जे के दिन के रूप में इतिहास में दर्ज है। चीन के इस कदम का तिब्बत और दुनिया के कई देशों में जमकर विरोध हुआ। दलाई लामा के प्रयासों से इस देश में स्वतंत्रता की अलख जगी और पिछले कई दशकों से देश की आजादी हासिल करने की जद्दोजहद अभी भी जारी है। 23 मई, 1951 को तिब्बती लोग काला दिन मानते हैं। चीन इसे शांति के प्रयासों वाला दिन बताता है।