कोलकाता : रविवार को डीवाईएफआई के ब्रिगेड समावेश के मंच से डीयूएफआई की प्रदेश सचिव मीनाक्षी मुखर्जी ने भाजपा और तृणमूल कांग्रेस पर एक साथ हमला किया। मीनाक्षी ने राजनीतिक लड़ाई की तुलना क्रिकेट से करते हुए कहा कि टी20 नहीं, टेस्ट मैच खेला जाना चाहिए। यानी हमारी लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। मैं पूरी व्यवस्था को बदलने के लिए लड़ रही हूं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग इस लड़ाई में हमारे साथ जुड़ें, यही मैं आज आपसे चाहती हूं।
रविवार को सभी की निगाहें मीनाक्षी के भाषण पर थीं। उन्होंने आधे घंटे लंबे भाषण में कलकत्ता के राजनीतिक हलकों को भी गर्म कर दिया। कई लोग आसनसोल की जुझारू लड़की के भाषण में वामपंथ की भावी पीढ़ी की तलाश कर रहे हैं। मीनाक्षी ने बताया कि वे मैदान में संघर्ष से उभरीं हैं।
मीनाक्षी ने कहा “कौन कहता है कि वामपंथी शून्य हो गए हैं? उन्हें शून्य की शक्ति का अंदाज़ा ही नहीं है। वे नहीं जानते कि यदि शून्य दखलदारी की लड़ाई पर उतर जाए तो क्या होगा। दरअसल, वे लोग वामपंथ की ताकत से डरते हैं। हम सांसद, विधायक बनने के लिए नहीं लड़ते। हम सिस्टम बदलना चाहते हैं। हम टेस्ट मैच खेलने के लिए तैयार हैं। लेकिन कभी-कभी आपको टी-20 भी खेलना पड़ता है। हम भी खिलाड़ियों को मैदान में उतारेंगे। आप बिना लड़े जीवित नहीं रह सकते। आपसे अपील है, अगर जीना है तो लड़ाई में शामिल हो जाओ, मैदान में आ जाओ। लड़ाई सिद्धांतों की है, लड़ाई आदर्शों की है।”
एसएफआई के राज्य सचिव सृजन भट्टाचार्य ने भी तृणमूल-भाजपा पर एक साथ हमला बोला। राज्य की बेरोजगारी समस्या से लेकर भ्रष्टाचार के मुद्दे उन्होंने तृणमूल सरकार को घेरा। डीवाईएफआई के पूर्व महासचिव मोहम्मद सलीम भी दिन के वक्ताओं की सूची में थे। उन्होंने कहा, “कई लोग सवाल उठाते हैं कि लेफ्ट और राइट में क्या अंतर है? बहुत साधारण अंतर है। कोई भी दक्षिणपंथी कभी भी गलती स्वीकार नहीं करता। वामपंथी गलती स्वीकार करना जानते हैं क्योंकि, वे सत्य के मार्ग पर चलते हैं। आप अपने पैर ज़मीन पर रखते हैं, अपनी मुट्ठियां आसमान की ओर उठाते हैं और जीवित रहने के लिए लड़ने की कसम खाते हैं। डीयूएफआई का प्रतीक लाल सितारा है। यह किसका प्रतीक है? जब दिशासूचक यंत्र नहीं था, तब लोग स्थिर तारों को देखकर दिशा निर्धारित करते थे। आज भी वामपंथी युवा अपना लक्ष्य निश्चित रखने के लिए उन सितारों का दामन थामे हुए हैं। वे कभी नहीं भटकेंगे।”