कोलकाता : दो दिन पहले गजराज ग्रुप के दक्षिण कोलकाता स्थित ठिकाने पर ईडी की छापेमारी के दौरान 1.40 करोड़ रुपये की बरामदगी मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि गजराज ग्रुप के मालिक विक्रम सिकारिया, मनजीत सिंह ग्रेवाल और ममता बनर्जी की कैबिनेट के एक मंत्री की मिलीभगत से कई बड़े हेरफेर किए जाने की आशंका है।
जानकारी के मुताबिक कोयला तस्करी के करोड़ों रुपये राजधानी कोलकाता और पश्चिम बंगाल के सीमांचल क्षेत्रों के साथ-साथ दूसरे राज्यों में जमीन और संपत्ति खरीद में निवेश किए गए हैं। यहां तक कि कोलकाता में 12 करोड़ रुपये के एक अतिथि निवास को केवल तीन करोड़ रुपये में गजराज ग्रुप को स्थानांतरित कर दिया गया था। इसमें ममता कैबिनेट के एक मंत्री की भूमिका बड़ी रही है। तीन महीने पहले मंत्री के गरचा रोड स्थित ठिकाने पर ईडी ने छापेमारी की थी। हालांकि वहां से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा था।
अब पता चला है कि उसी पते पर 53 कंपनियों के पंजीकृत पते हैं। यह खुलासा होने के बाद राज्य के मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने कहा है कि एक ही पते पर 500 कंपनियों के रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं क्योंकि सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है। अगर इस बारे में शिकायत मिलेगी तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों ने बताया है कि राज्य के एक मंत्री के दबाव में अलीपुर भू राजस्व विभाग के सब रजिस्ट्रार ने पानी की कीमत पर संपत्ति का स्थानांतरण गजराज ग्रुप के नाम पर किया है, उससे भी पूछताछ होगी। इसके अलावा उस दिन ड्यूटी पर तैनात अन्य अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।