सांसद पिता-पुत्र शिशिर और दिव्येंदु ने संदेशखाली मामले में राज्यपाल के रुख की सराहना की

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों ने संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं के लिए राजभवन के दरवाजे खोलने के पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के कदम की सराहना की है। दोनों सांसदों ने राज्यपाल के रुख की सराहना उस वक्त की है जब दोनों पर भारतीय जनता पार्टी से नजदीकी बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं।

भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के पिता और कांथी से तृणमूल सांसद शिशिर अधिकारी और उनके छोटे बेटे एवं तमलुक से तृणमूल सांसद दिव्येंदु अधिकारी ने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की महिलाओं की पीड़ा समझने के लिए राज्यपाल की प्रशंसा की है।

शिशिर अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल के इस कदम ने उन्हें नंदीग्राम आंदोलन की याद दिला दी जब सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से सुरक्षा देने के लिए उस गांव के कई लोगों को शरण देने के लिए उन्होंने खुद के, रिश्तेदारों और दोस्तों के आवास के दरवाजे खोल दिये थे। उन्होंने कहा, ‘‘ यह बहुत अच्छी सोच है। इसके लिए राज्यपाल की सराहना की जानी चाहिए। यह मुझे याद दिलाता है कि कैसे मैंने आंदोलन के दिनों में नंदीग्राम के कई लोगों को माकपा के गुंडों से बचाने के लिए अपने आवास में शरण दी थी।’’ वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल ने लोकसभा अध्यक्ष को एक अनुरोध प्रस्तुत किया था, जिसमें उनसे दलबदल विरोधी कानून के तहत शिशिर अधिकारी की सदस्यता रद्द करने का आग्रह किया गया था।

तृणमूल ने शिशिर पर भाजपा में शामिल होने का आरोप लगाया था। शिशिर अधिकारी को चुनाव के दौरान भाजपा की विभिन्न रैलियों में भी देखा गया था। शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी अब भी तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं, लेकिन उन्होंने लंबे समय से पार्टी से दूरी बनाई हुई है।

बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी वी आनंद बोस ने पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने का संकल्प लिया है। वह खुद को पीड़ित महिलाओं का मुंहबोला भाई बता कर आश्वस्त किया है कि संदेशखाली की पीड़ित महिलाएं राजभवन में शरण ले सकती हैं, जहां उन्हें आश्रय और सुरक्षा प्रदान किया जायेगा। दिव्येंदु ने भी बोस को पत्र लिखकर उनके इस कदम की सराहना की है। तमलुक सांसद ने कहा, ‘‘ अगर आप मुझे पीड़ित महिलाओं की किसी भी तरह से सहायता के लिए अपने साथ खड़े होने की अनुमति देते हैं तो मैं आपका आभारी रहूंगा।’’

तृणमूल नेता शांतनु सेन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वासघाती क्या सोचते या कहते हैं। उन दोनों को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे भाजपा में शामिल हो गए हैं या अब भी तृणमूल के साथ हैं?’’

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