कोलकाता : राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के निधन से पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़ा हर एक व्यक्ति आहत है। उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कोलकाता नगर निगम के वार्ड 20 के वार्ड को-ऑर्डिनेटर और आरटीए के सदस्य विजय उपाध्याय ने कहा कि छात्र राजनीति के समय से ही वे सुब्रत मुखर्जी के साथ जुड़े हुए थे। उनके लिए वे राजनीतिक गुरु थे।
उन्होंने कहा कि सुब्रत मुखर्जी बहुत मिलनसार स्वभाव वाले व्यक्ति थे। उनके साथ घंटों बैठने पर भी समय का पता नहीं चलता था। उनका हंसमुख स्वभाव, लोगों को नयी चिंताधारा देता था। पश्चिम बंगाल में नक्सल आंदोलन के समय उनकी सक्रियता से कांग्रेस सत्ता में आई थी, महज़ 25 साल की उम्र में वे मंत्री बने थे।
विजय उपाध्याय ने कहा कि साल 1982 में सुब्रत जोड़ाबागान से विधायक बने थे। साल 1985 में मुखर्जी ने विजय को वार्ड 22 से कांग्रेस का टिकट दिया।
साल 2000 में हुए कोलकाता नगर निगम के चुनाव का ज़िक्र करते हुए विजय उपाध्याय ने कहा कि उस समय वे समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए थे। निगम चुनाव का परिणाम आ गया था और तृणमूल को बोर्ड में जगह बनाने के लिए 2 सीटें कम पड़ रही थी। सुब्रत मुखर्जी ने विजय उपाध्याय को फोन किया और कहा कि क्या वे मेयर नहीं बनेंगे! विजय उपाध्याय ने जवाब में कहा कि उनके मेयर बनने से सबसे ज्यादा खुशी उन्हें होगी क्योंकि वे उन्हें गुरु मानते हैं।
विजय ने बताया कि उस समय सीपीएम के लोग नहीं चाहते थे कि सुब्रत मेयर बनें, कुछ तृणमूल समर्थकों का भी ऐसा ही मत था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। विजय उपाध्याय ने कहा कि सुब्रत मुखर्जी के कहने पर उन्होंने निगम चुनाव में वार्ड 45 और वार्ड 141 में जीत दर्ज करने वाले 2 निर्दलीय उम्मीदवारों को तृणमूल में शामिल करवाया और सुब्रत मुखर्जी मेयर बन गए।