बंगाल की मतदाता सूची से हटाए जाएं रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम : शुभेंदु अधिकारी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को राज्य की मतदाता सूची को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि इसमें बड़ी संख्या में रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम शामिल हैं। उन्होंने निर्वाचन आयोग से इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने की मांग की और राज्य में घर-घर सर्वेक्षण कराने की अपील की।

भाजपा विधायकों के साथ अधिकारी विधानसभा से मार्च करते हुए कोलकाता स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल के कार्यालय पहुंचे और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि बिहार में रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। वही प्रक्रिया बंगाल में भी लागू होनी चाहिए। हमने सीईओ से मांग की है कि बंगाल में तत्काल घर-घर सर्वे कराया जाए।

अधिकारी ने मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए 50 प्रतिशत राज्य और 50 प्रतिशत केंद्र सरकार के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की मांग भी की। उनका कहना था कि पारदर्शिता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब मतदाता सूची से जुड़े कार्यों में दोनों सरकारों की समान भागीदारी हो।

उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में फर्जी आधार कार्ड, झूठे जन्म प्रमाण पत्र और नकली मतदाता पहचान पत्रों का बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। अधिकारी ने दावा किया कि राज्य सरकार की शह पर रोहिंग्या मुसलमानों को फर्जी दस्तावेज देकर नागरिकता का लाभ पहुंचाया जा रहा है। अगर ईसीआई ने बिहार की तर्ज पर बंगाल में भी रैंडम सर्वे शुरू किया, तो करीब एक करोड़ रोहिंग्याओं के नाम सूची से हट सकते हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस की उस रैली पर भी निशाना साधा, जो भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ निकाली गई थी। उन्होंने कहा कि यह रैली आम जनता के लिए नहीं थी। असल में यह रैली रोहिंग्याओं को बचाने के लिए आयोजित की गई थी। ममता बनर्जी को जनसंख्या के असंतुलन की कोई चिंता नहीं है, उन्हें सिर्फ मतदाता सूची में रोहिंग्या नाम बनाए रखने की चिंता है।

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने बांग्लादेश से लगी 540 किलोमीटर लंबी सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को ज़मीन देने से इनकार कर दिया है, जिससे घुसपैठ पर नियंत्रण की प्रक्रिया बाधित हो रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान की प्रक्रिया को “तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही हैं” ताकि अपने वोट बैंक को बनाए रख सकें। अधिकारी ने कहा कि जहां-जहां रोहिंग्याओं की पहचान हो रही है, वहां जांच के बाद असली भारतीयों को छोड़ा गया है, लेकिन करीब तीन लाख रोहिंग्या फर्जी दस्तावेजों के साथ पकड़े गए हैं और उन पर कानूनी कार्रवाई की गई है।

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