◆ कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग स्नातक अध्ययन बोर्ड का संयुक्त आयोजन
कोलकाता : राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद पाठ्यक्रम में काफी परिवर्तन आ रहा है। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग स्नातक अध्ययन बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में इसे लेकर गत गुरुवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का विषय नई शिक्षा नीति में हिन्दी पठन – पाठन एवं पाठ्यक्रम था। कार्यशाला का उद्धाटन कलकत्ता विश्वविद्यालय के इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेजेज डॉ. देवाशीष विश्वास, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय, कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग स्नातक अध्ययन बोर्ड की अध्यक्ष डॉ़. राजश्री शुक्ला, कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की संचालन समिति की सदस्य मैत्रेयी भट्टाचार्य ने किया।
इस कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने कहा कि नया सत्र नयी शिक्षा नीति के अनुरूप प्रारम्भ होने वाला है, और करिकुलम क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत यू जी बोर्ड पाठ्यक्रम निर्धारित करता है, इसी के तहत यह पहली कार्यशाला आयोजित की गयी है। लगभग 70 प्राध्यापक – प्राध्यापिकाओं ने इसमें भाग लिया। लोकतांत्रिक पद्धति से विचार कर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है और सभी अपने सुझाव लेकर आए, सक्रिय प्रतिभागिता की। हमारे पाठ्यक्रम से देश की संस्कृति, साहित्य, सब प्रभावित होते हैं, इसलिए यह एक बड़ा दायित्व है। देश और समाज की प्रगति के लिए पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
वहीं कार्यशाला में मूल वक्तव्य रखते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय के इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेजेज डॉ. देवाशीष विश्वास पाठ्यक्रम की संरचना के बारे में विस्तार से बताया। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग स्नातक अध्ययन बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. राजश्री शुक्ला ने कार्यशाला के आयोजन हेतु कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की सराहना की।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए और कलकत्ता विश्वविद्यालय के नीतियों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना है। इसके लिए हिन्दी के प्राध्यापक वर्ग की राय को लेने के लिए कार्यशाला आयोजित की गयी है और उनसे लिखित सुझाव माँगे जा रहे हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का संचालन कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के हिन्दी विभाग के डॉ. धनंजय साव तथा तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. नवारुणा भट्टाचार्य ने किया। नई शिक्षा नीति में हिंदी पठन-पाठन एवं पाठ्यक्रम पर अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त किया गया। किस सेमेस्टर में कितना पेपर पढ़ना होगा। कोर और मल्टी डिसिप्लनरी, सी.वी.ए.सी.आदि सभी विषयों पर विचार किया गया। नई शिक्षा नीति में एक दो तीन और चार वर्ष तक भिन्न – भिन्न डिग्री ली जा सकती है। बीच में विषय भी परिवर्तन कर सकते हैं। पहले वर्ष में 100 लेवल मतलब सरल पेपर 200 लेवल कुछ कठिन पेपर और 300 लेवल थोड़ा कठिन पेपर दिया जाएगा। क्रेडिट आदि पर विचार किया गया। कई शिक्षक और शिक्षिकाओं ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए जो विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण रहे। अभी दो सत्रों के पठन-पाठन पाठ्यक्रम बने हैं। तीन साल के पाठ्यक्रम को बनाया जाएगा। बाह्य संरचनाओं और परीक्षा पद्धति और विषयों को लेकर जो बाधाएं आएंगी उस पर ध्यान आकर्षित किया गया।
कलकत्ता विश्वविद्यालय हिंदी विभाग डॉ राजश्री शुक्ला, सेंट पाल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश पांडेय ने अपने वक्तव्य रखे। हिंदी कार्यशाला में हिंदी के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे गए। कार्यशाला में सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं के प्रश्नों और पेपर बनाने पर सुझाव आए हैं जिन्हें लिखित रूप में हिंदी विभाग स्नातक अध्ययन बोर्ड को दिया जाएगा। इस अवसर पर शिक्षायतन कॉलेज, स्कॉटिश चर्चकॉलेज, खिदिरपुर कॉलेज, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज, विद्यासागर कॉलेज, गोखल मेमोरियल कॉलेज, जयपुरिया कॉलेज, लाल बाबा कॉलेज, रानी बिरला गर्ल्स कॉलेज आदि बत्तीस कॉलेजों के हिंदी अध्यापक और अध्यापिकाओं की उपस्थिति रही।