नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर नौसेना कर्मियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे संकट की स्थिति को कम करने में हमारी नौसेना के जवान हमेशा सबसे आगे रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, “नौसेना दिवस की बधाई। हमें भारतीय नौसेना के अनुकरणीय योगदान पर गर्व है। हमारी नौसेना को इसकी व्यावसायिकता और उत्कृष्ट साहस के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे संकट की स्थिति को कम करने में हमारे नौसेना के जवान हमेशा सबसे आगे रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने साथ ही 26 नवम्बर 2017 को प्रसारित अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 38वीं कड़ी के अंश को भी साझा किया। उन्होंने 800-900 साल पुरानी चोल वंश की समृद्ध नौसेना और उसमें महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की नौ-सेना के सामर्थ्य को कौन भूल सकता है।
उन्होंने कहा, “हमारी सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ है। चाहे वो सिन्धु हो, गंगा हो, यमुना हो, सरस्वती हो – हमारी नदियाँ और समुद्र, आर्थिक और सामरिक दोनों प्रयोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये पूरे विश्व के लिए हमारे द्वार हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश का महासागरों के साथ अटूट संबंध रहा है। जब हम इतिहास की ओर नजर करते हैं तो 800-900 साल पहले चोल-वंश के समय, चोल-नेवी को सबसे शक्तिशाली नौ-सेनाओं में से एक माना जाता था। चोल-साम्राज्य के विस्तार में, उसे अपने समय का आर्थिक महाशक्ति बनाने में उनकी नेवी का बहुत बड़ा हिस्सा था।
चोल-नेवी की मुहीम, खोज-यात्राओं के ढेरों उदाहरण, संगम-साहित्य में आज भी उपलब्ध हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि विश्व में ज्यादातर नौ-सेनाओं ने बहुत देर के बाद युद्ध-पोतों पर महिलाओं को अनुमति दी थी। लेकिन चोल-नेवी में और वो भी 800-900 साल पहले, बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। यहां तक कि महिलाएं, लड़ाई में भी शामिल होती थीं। चोल-शासकों के पास जहाज निर्माण, जहाजों के निर्माण के बारे में बहुत ही समृद्ध ज्ञान था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम नौ-सेना की बात करते हैं तो छत्रपति शिवाजी महाराज और नौ-सेना के उनके सामर्थ्य को कौन भूल सकता है। कोंकण तट-क्षेत्र, जहां समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका है, शिवाजी महाराज के राज्य के अंतर्गत आता था। शिवाजी महाराज से जुड़े कई किले जैसे सिंधु दुर्ग, मुरुड जंजिरा, स्वर्ण दुर्ग आदि या तो समुद्र तटों पर स्थित थे या तो समुद्र से घिरे हुए थे। इन किलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मराठा नौ-सेना करती थी। मराठा नेवी में बड़े-बड़े जहाजों और छोटी-छोटी नौकाओं का संयोजन था। उनके नौसैनिक किसी भी दुश्मन पर हमला करने और उनसे बचाव करने में अत्यंत कुशल थे। हम मराठा नेवी की चर्चा करें और कान्होजी आंग्रे को याद न करें, ये कैसे हो सकता है। उन्होंने मराठा नौ-सेना को एक नए स्तर पर पहुंचाया और कई स्थानों पर मराठा नौ-सैनिकों के अड्डे स्थापित किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हमारी भारतीय नौ-सेना ने विभिन्न अवसरों पर अपना पराक्रम दिखाया – चाहे वो गोवा के मुक्ति-संग्राम हो या 1971 का भारत-पाक युद्ध हो। जब हम नौ-सेना की बात करते हैं तो सिर्फ हमें युद्ध ही नजर आता है लेकिन भारत की नौ-सेना, मानवता के काम में भी उतनी ही बढ़-चढ़ कर के आगे आई है।
उल्लेखनीय है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के साहसी ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ की याद में प्रतिवर्ष चार दिसम्बर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है।