नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में पिछले डेढ़ साल के दौरान बाल विवाह के 1630 मामले सामने आए हैं। इस मामले में मंगलवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर 10 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने अपने नोटिस में पुलिस महानिदेशक को पश्चिम बंगाल में पिछले डेढ़ साल में बाल विवाह के कुल मामलों की संख्या और उन पर की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
इससे पहले इसे लेकर आयोग के अध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल के महिला व शिशु कल्याण विभाग की प्रधान सचिव संघमित्रा घोष को सम्मन भेजा था। मंगलवार को प्रधान सचिव ने एनसीपीसीआर कार्यालय पहुंच कर बाल विवाह के मामलों पर जानकारी दी।
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि पश्चिम बंगाल के कलेक्टरों द्वारा बाल विवाह रोकथाम की जानकारी न दिए जाने पर विभाग की प्रमुख सचिव को बुलाया गया था। प्रमुख सचिव के अनुसार डेढ़ साल में बाल विवाह के 1630 मामले पुलिस को सूचना देने के बाद भी नहीं रोके गए हैं।
आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक बाल विवाह के 4001 मामले संज्ञान में आए, जिसमें 2939 मामले रोके गए जबकि 1062 मामलों में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट गायब है। इसी तरह अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 तक 2732 मामले संज्ञान में आए। जिनमें 2154 बाल विवाह रोके गए जबकि 578 मामलों पर क्या कार्रवाई की गई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ साल में बाल विवाह के कुल 1630 मामलों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है।