इतिहास के पन्नों में 10 नवंबरः माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज 1.0 ने बदल दिया कंप्यूटर का अंदाज

देश-दुनिया के इतिहास में 10 नवंबर की तारीख तमाम वजह से दर्ज है। और यह तारीख कंप्यूटर में विंडोज के माध्यम से इतिहास रचने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज दुनियाभर के तीन-चौथाई यानी 77 फीसदसे ज्यादा लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज पर चल रहे हैं। हर गुजरते दिन के साथ नए एप्लीकेशन जुड़ रहे हैं। क्षमता बढ़ रही है और हार्डवेयर भी उसी रफ्तार से अपग्रेड हो रहे हैं। इस इवॉल्यूशन में आज की तारीख बेहद अहम है, क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने 28 साल की उम्र में 10 नवंबर, 1983 को पहली बार विंडोज लॉन्च किया था।

आज विंडोज तकरीबन हर जगह दिख जाता है। जो काम आज हम अपने कंप्यूटर पर कर रहे हैं, उसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। यह बिल गेट्स की और माइक्रोसॉफ्ट के पहले यूजर-फ्रेंडली ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 1.0 की कहानी है। उसके बिना डेस्कटॉप कंप्यूटर का वह महत्व तो कतई नहीं रहता, जो आज हमारे लिए है।

माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक गेट्स ने 10 नवंबर, 1983 को न्यूयॉर्क सिटी में पॉश इवेंट रखा था। इसका मुख्य आकर्षण एक ऑपरेटिंग सिस्टम था, जो सिंपल और इंट्यूटिव ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ आया था। उस समय तक कमांड-बेस्ड एमएस डीओएस (MS DOS) पर ही कंप्यूटर काम करते थे। विंडोज में ड्रॉपडाउन मेनू, टाइल्ड विंडोज, माउस सपोर्ट और कई ऐप्स के साथ मल्टीटास्किंग संभव था। यह पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था, जिसे चलाने के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग की जरूरत नहीं थी।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम क्या हो? बिल गेट्स इसे इंटरफेस मैनेजर नाम देना चाहते थे। तब माइक्रोसॉफ्ट के मार्केटिंग अधिकारी रोलैंड हैंसन ने विंडोज नाम दिया। गेट्स ने विंडोज 1.0 के लॉन्च पर कहा था- ‘विंडोज यूजर्स को अभूतपूर्व ताकत देगा। यह अगले कुछ वर्षों के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की नींव रख रहा है।’

विंडोज 1.0 के बाद, विंडोज 2.0 (1987), विंडोज 3.0 (1990), विंडोज 3.1 (1992), विंडोज 95 (1995), विंडोज 98 (1998), विंडोज 2000 (2000), विंडोज XP (2001), विंडोज विस्टा (2007), विंडोज 7 (2009), विंडोज 8 (2012), विंडोज 10 (2015) आया। आज यदि बिल गेट्स दुनिया के सबसे रईस शख्सियतों में शामिल हैं तो इसकी एक बड़ी वजह विंडोज ही है, जो पूरी दुनिया में पर्सनल कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम का पर्याय है।

और साल 1903 में इसी तारीख को अमेरिकी पेटेंट ऑफिस ने मैरी एंडरसन को ऑटोमेटिक विंडशील्ड वाइपर्स का पेटेंट दिया। यह ऐसा डिवाइस है जो आज ऑटोमोबाइल्स में फ्रंट और बैक विंडशील्ड्स को साफ रखने के लिए इस्तेमाल होता है। मैरी एक ट्रॉली कार से यात्रा कर रही थीं, तब बर्फबारी इतनी तेज थी कि ड्राइवर को विंडोज खोलकर ड्राइव करना पड़ रहा था। कई बार उसे ट्रॉली रोकनी पड़ी ताकि विंडशील्ड को साफ कर सके। तब मैरी ने हैंड-ऑपरेटेड डिवाइस बनाया, जिसका लीवर ड्राइवर के पास था। रबर का वाइपर ऊपर से विंडशील्ड को साफ करता था।

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