इतिहास के पन्नों में 01 अक्टूबरः दुनिया भर में बुजुर्गों को समर्पित तारीख

एक अक्टूबर की तारीख दुनिया में बुजुर्गों को समर्पित है। बुजुर्गों की समस्याओं को उठाने और उनके लिए एक बेहतर समाज बनाने के इरादे से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसंबर, 1990 को इस प्रस्ताव को अपनाया और 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में नामित किया। भारत के लिहाज से अगर इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो 01 अक्टूबर बेहद खास नजर आता है, क्योंकि साल 1854 में 01 अक्टूबर को ही भारत में देश में डाक टिकट का प्रचलन शुरू हुआ था। इस टिकट पर महारानी विक्टोरिया की तस्वीर और भारत बना था। इसके अलावा 01 अक्टूबर 1847 को मशहूर समाजसेवी, लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट का जन्म हुआ था। हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी भी साल 1919 में 01 अक्टूबर को ही जन्मे थे।
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में पूरी दुनिया में 1991 से हर साल 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस या अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाने का उद्देश्य बुजुर्गों को उनके अधिकार दिलवाना है। भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक पारित किया गया था। इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्थापना, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।
वैसे तो इतिहास के पन्नों में दर्ज साल के 365 दिनों में से हर दिन का अपना एक खास महत्व है, क्योंकि हर तारीख किसी न किसी बड़ी घटना का साक्षी है। 01 अक्टूबर, 1953 की तारीख इतिहास में आंध्र प्रदेश के स्थापना दिवस के तौर पर दर्ज है। इस दिन की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करें तो यही वह दिन है, जब लड़कियों की विवाह योग्य आयु को 14 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष और लड़कों की विवाह योग्य आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष तय किया गया।

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