देश-दुनिया में 12 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख पाकिस्तान में एक और सैन्य तख्तापलट के लिए जानी जाती है। पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच उठापटक का सिलसिला बहुत पुराना है। यही वजह है कि वहां लोकतांत्रिक, स्थिर और स्थायी सरकार जैसे शब्द कम ही सुनाई देते हैं।
1999 में 12 अक्टूबर को मुल्क के तत्कालीन सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता पलटकर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी।
इस रक्तविहीन क्रांति में शरीफ को श्रीलंका से स्वदेश लौट रहे मुशर्रफ के विमान का अपहरण करने और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्हें परिवार के 40 सदस्यों के साथ सऊदी अरब निर्वासित कर दिया गया। 1997 के आम चुनाव में नवाज शरीफ ने ही प्रधानमंत्री बनने के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया था।
दरअसल जनरल परवेज मुशर्रफ श्रीलंका में थे तो नवाज शरीफ ने शक के आधार पर उन्हें सेनाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। शरीफ ने मुशर्रफ के स्थान पर जनरल अजीज को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया। नवाज यहीं गलती कर बैठे और यह नहीं समझ पाए कि जनरल अजीज भी परवेज मुशर्रफ के वफादार हैं। आखिरकार शरीफ जिस सैन्य तख्तापलट की आशंका से घिरे थे। वह हो ही गया।