देश-दुनिया के इतिहास में 18 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख दक्षिण भारत के जंगलों में लंबे समय तक एकछत्र राज करने वाले कुख्यात चंदन तस्कर और दस्यु सरगना वीरप्पन के खात्मे के लिए भी याद की जाती है। वह 18 अक्टूबर 2004 को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। घनी मूंछों वाला वीरप्पन सुरक्षा बलों और कई राज्यों की सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ था।
आठ जनवरी 1952 को कर्नाटक के गांव गोपिनाथम में जन्मा वीरप्पन (असली नाम मुनिस्वामी वीरप्पन) हाथी दांत के लिए सैकड़ों हाथी की हत्या और चंदन तस्करी के लिए करीब 150 से अधिक लोगों की हत्या कर दहशत का पर्याय बन गया था। इस खूंखार दस्यु का ख्याल आते ही तमिलनाडु के लोग सिहर जाते हैं।
वीरप्पन पहली बार सुर्खियों में 1987 में तब आया जब उसने दिगंबर नाम के एक वन अधिकारी को अगवा किया था। साल 2000 में वीरप्पन ने दक्षिण भारत के मशहूर फिल्म अभिनेता राज कुमार का अपहरण किया था। वीरप्पन ने उन्हे 100 दिन तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उसने तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों ही सरकारों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
इसके कुछ साल बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया। वीरप्पन के खात्मे लिए विजय कुमार को 2003 में एसटीएफ का चीफ बनाया गया। इसके एक साल बाद एसटीएफ ने वीरप्पन को ढेर कर दिया।