देश-दुनिया के इतिहास में 22 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बेहद खास है। इसरो ने 22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया था। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना था। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किए गए चंद्रयान-1 में भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में बने 11 साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स लगे थे।
वैसे तो यह मिशन दो वर्ष का था, लेकिन जब इसने अपने उद्देश्य पूरे कर लिए तो चांद के गुरुत्वाकर्षण बल से जुड़ा डेटा जुटाने के लिए सतह से इसकी ऊंचाई 100 किलोमीटर से बढ़ाकर 200 किलोमीटर की गई। इसी दौरान 29 अगस्त, 2009 को इससे रेडियो संपर्क टूट गया। तब तक इसने चांद की रासायनिक, मिनरलॉजिक और फोटो-जियोलॉजिकल मैपिंग कर ली थी।
चंद्रयान-1 ने आठ महीने में चांद के 3,000 चक्कर लगाए और 70 हजार से ज्यादा तस्वीरें भेजीं। इनमें चांद पर बने पहाड़ों और क्रेटर को भी दिखाया गया। चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में अंधेरे इलाके के फोटो भी इसने भेजे। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी चांद पर पानी के होने की पुष्टि। इसरो ने अपने डेटा को एनालाइज कर इसकी घोषणा की और दो दिन बाद नासा ने भी इसकी पुष्टि की। इस तरह अंतरिक्ष में भारत के सुपर पॉवर बनने की दिशा में चंद्रयान-1 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।