इतिहास के पन्नों में 24 अक्टूबरः कॉमन मैन का कार्टूनिस्ट

कार्टून के जरिये आम जनता की परेशानियों का चित्रण करने वाले आरके लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था। उनके बनाए कार्टून को देश-दुनिया में ख्याति मिली। कार्टून श्रृंखला “कॉमन मैन” के जरिए आम लोगों के दर्द को समझा और महसूस किया जा सकता था। राजनीतिक व्यंग्य में भी उनका जवाब नहीं था।

आरके लक्ष्मण की शुरुआती शिक्षा सर जमशेदजी जीजीभॉय स्कूल ऑफ आर्ट से मिली। उन्होंने महाराजा कॉलेज, मैसूर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। बीए के बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के दौरान फ्रीलांस कलाकार के तौर पर स्वराज अखबार के लिए कार्टून बनाए। इन कार्टून से उन्होंने काफी प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि मिली।

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कार्टूनिस्ट के तौर पर उन्होंने कई पत्रिकाओं में काम किया। पहली बार मुंबई के द फ्री प्रेस जर्नल में नौकरी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में पूरे 50 वर्षों तक काम किया। इस दौरान उनके बनाए गए कार्टून को काफी प्रसिद्धि मिली। उनके द्वारा बनाए गए ‘द कॉमन मैन’ को ऐसी लोकप्रियता मिली कि वर्षों वह आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।

भारत सरकार ने उन्हें 1973 में पद्म भूषण और 2005 में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया। उन्हें वैश्विक स्तर पर भी ख्याति मिली। उन्हें 1984 में ‘रेमन मैग्सेसे ‘ पुरस्कार से नवाजा गया। डाक विभाग ने कॉमन मैन पर 1988 में डाक टिकट जारी किया। वर्षों तक देश और दुनिया के मुद्दों को उठाने वाले आरके लक्ष्मण का निधन 26 जनवरी 2015 को 94 वर्ष की उम्र में हो गया था। आरके लक्ष्मण द्वारा बनाए गए कार्टून पुणे की एक आर्ट गैलरी में रखा गया है।

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