इतिहास के पन्नों में 25 अक्टूबरः जब भारत में शुरू हुई थी चुनावी प्रक्रिया

25 अक्टूबर 1951 को देश में पहले लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, जो 21 फरवरी 1952 तक पूरी हुई। इस चुनाव में 17 करोड़ से अधिक भारतीय मतदाताओं ने भाग लिया। तब लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए और 68 चरणों में करीब चार महीने में चुनावी प्रक्रिया पूरी हुई।

लोकसभा की 497 और राज्यों की विधानसभा की 3283 सीटों पर हुई वोटिंग में 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 पंजीकृत मतदाताओं ने हिस्सा लिया। कुल 68 चरणों में हुए मतदान में प्रत्येक मतदाता पर केवल 60 पैसे का खर्च आया था। पहले चुनाव में भाग लेने वाले मतदाताओं में 85 फीसदी लोग अशिक्षित थे। इसलिए पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव चिन्ह की व्यवस्था की गई थी। तब हर पार्टी के लिए अलग-अलग बॉक्स बनाया गया था, जिस पर चुनाव चिन्ह अंकित होते थे। उस समय 2.12 करोड़ लोहे की पेटियां बनाई गई थीं और करीब 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे।

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भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। उन्होंने मतदाता पंजीकरण से लेकर पार्टियों के चुनाव चिह्नों के निर्धारण के लिए योग्य अधिकारियों की नियुक्ति की थी। तकनीकी विकास बहुत कम और ट्रांसपोर्टेशन बहुत मुश्किल था, जिसमें बैलेट बॉक्स और मतपत्रों को मतदान केंद्रों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती थी। सुकुमार सेन के व्यापक अनुभव और कुशल प्रबंधन ने इस चुनाव को संभव कर दिखाया।

चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और उसे 364 सीटें मिलीं। जबकि भाकपा को 16 सीटें मिली थी। चुनाव परिणामों के साथ महज कुछ वर्षों पहले स्वतंत्र हुए भारत ने अंग्रेजों के अनुमान को पूरी तरह गलत साबित कर दिया कि भारतीय समाज लोकतंत्र का दायित्व नहीं निभा पाएगा।

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