इतिहास के पन्नों में 27 अक्टूबरः फिल्मी पर्दे के शहंशाह प्रदीप कुमार असल जिंदगी में मुफलिसी के शिकार थे

पचास के दशक की फिल्मों में ज्यादातर राजा-महाराजा और शहंशाह के किरदार में एक अभिनेता काफी जाना-पहचाना था- प्रदीप कुमार। प्रदीप कुमार ने अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मधुबाला के साथ आठ और मीना कुमारी के साथ सात फिल्मों में बतौर हीरो काम किया। ये सभी फिल्में सुपरहिट रहीं। इसके अलावा भी प्रदीप कुमार की ज्यादातर फिल्में हिट रही। 1952 में फिल्म ‘आनंद मठ’ से अभिनय यात्रा शुरू करने वाले प्रदीप कुमार ने हिंदी के अलावा बांग्ला और अंग्रेजी भाषा वाली फिल्मों में भी काम किया।

प्रदीप कुमार का जन्म 19 जनवरी 1925 को कोलकाता में हुआ था। बचपन से ही फिल्मों के शौकीन प्रदीप कुमार ने महज 17 साल की उम्र में अभिनय के क्षेत्र में जाने का फैसला कर लिया। सबसे पहले देवकी बोस की बांग्ला फिल्म ‘अलकनंदा’ में बतौर नायक उन्हें अवसर मिला। प्रदीप कुमार की दूसरी बांग्ला फिल्म “भूली नाय” ने सिल्वर जुबली मनाई। प्रदीप कुमार ने इसके बाद हिन्दी फिल्मों का रुख किया।

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फिल्मी पर्दे पर खूब सराहे गए प्रदीप कुमार का निजी जीवन बेहद त्रासद रहा। उनके बच्चों ने उन्हें लकवे की हालत में अकेला छोड़ दिया। तीनों बेटियों और बेटा में से कोई भी उनकी पत्नी के निधन के बाद उनसे मिलने तक नहीं आया। लकवे से जूझ रहे प्रदीप कुमार के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था। उस समय कोलकाता के एक बड़े कारोबारी ने उन्हें अपने फ्लैट में आश्रय दिया। लंबी बीमारी के बाद 27 अक्टूबर 2001 को उनका निधन हो गया।

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