कोलकाता : यौन उत्पीड़न और पॉक्सो कानून के तहत दर्ज होने वाली शिकायतों को अब महिला पुलिसकर्मी ही दर्ज करेंगी। इसके साथ ही, यदि शिकायतकर्ता युवती या नाबालिग है और उसके बयान रिकॉर्ड करने की आवश्यकता हो, तो यह कार्य भी महिला पुलिसकर्मी द्वारा ही किया जाएगा। यदि किसी थाने में महिला पुलिसकर्मी उपलब्ध नहीं है, तो अन्य थाने से महिला पुलिसकर्मी को बुलाकर यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार ने ये निर्देश दिए हैं। हाल ही में पुलिसकर्मियों के लिए पॉक्सो कानून पर प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था। इन कार्यशालाओं में सभी थानों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इन मामलों में अदालत के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।
महिला पुलिसकर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण
कार्यशाला में यह भी स्पष्ट किया गया कि पॉक्सो और यौन उत्पीड़न के मामलों में जांच अधिकारी कोई भी हो सकता है, लेकिन पीड़िता की शारीरिक जांच केवल महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में कराई जानी चाहिए।
पॉक्सो और यौन उत्पीड़न के मामलों में जांच के दौरान बरामदगी और तलाशी प्रक्रिया के नियमों का पालन कैसे किया जाए, इस पर भी कार्यशाला में विस्तार से चर्चा हुई। तलाशी के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग की अवधि और उसे कोर्ट में कैसे जमा करना है, इस पर भी जानकारी दी गई। वर्तमान में राज्य पुलिस क्षेत्र में तलाशी के वीडियो को एक पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, जिससे वह सीधे अदालत तक पहुंचती है। हालांकि, कोलकाता पुलिस क्षेत्र में यह सुविधा अभी लागू नहीं हुई है।
पीड़िता की पहचान गोपनीय रखने का निर्देश
पुलिस अधिकारियों को यह भी याद दिलाया गया कि पॉक्सो और यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता की पहचान किसी भी स्थिति में सार्वजनिक नहीं की जा सकती। एफआईआर, शिकायत पत्र, या शारीरिक जांच रिपोर्ट जैसे किसी भी दस्तावेज़ में पीड़िता का नाम दर्ज नहीं होना चाहिए।
लालबाजार ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इन नियमों का पालन हर हाल में हो और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। इन नए दिशा-निर्देशों से पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार और यौन उत्पीड़न के मामलों में संवेदनशीलता सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।